साहित्य चक्र

04 August 2023

कविताः विचारधारा बदलिए




नजर का नजरिया बदल दीजिए ,
सोचने का जरिया भी बदल दीजिए।

कुछ ऐसा कर दिखाइए जिसमें जहां तुम्हें याद रखें ,
अपनी सोच को हमेशा इतना अच्छा बना कर रखिए।

की नजरों का इलाज हो जाएगा ,
पर नजरिए का नहीं इसलिए अपनी नजरों को सही रखिए।
नजर सही देखेंगे तो नजरिया अपने आप ही ,
आपको सामने वाले की ओर खींच ले जाएगा।

छोटी-छोटी विचारधारा वाले लोग कभी-कभी,
नकारात्मक भी सोच लेते हैं।

किसी के भी बारे में जब तक हम आंखों से देखे नहीं ,
तब तक हमें उसके बारे में गलत कभी भी नहीं सोचना चाहिए।

किसी ने कह दिया वह व्यक्ति ऐसा है,
तो आप ने मान लिया पर आपने ,
यह कभी नहीं जानने की कोशिश की।

कि यह बात जो बोल रहा है क्या वह सही कह रहा है
कभी-कभी कोई किसी से कही सुनी बात भी,
गलत निकलती है और हम उस पर विश्वास कर ,
सामने वाले को गलत समझ लेते हैं।

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताए
काम बिगारे अपनों जग में होत हंसया।

इसलिए तो कहते हैं बिना सोचे समझे बिना विचार किए
कभी भी किसी भी काम को नहीं करना चाहिए
खुद से हम गलती करते हैं और
जग को हंसाने का मौका देते हैं।


- रामदेवी करौठिया

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