साहित्य चक्र

10 August 2023

रुकना न कभी



तू रूकना न कभी, डरना न कभी
झुकना न कभी इन परिस्थितियों के आगे।
ये आएंगी तुम्हे डराने के लिए,
राह से भटकाने के लिए ,
पर तुम भटकना नहीं।
ये आएंगी तुम्हारे जमीर को मिटाने के लिए,
पर तुम बहकना नहीं,
तुम्हे ललकारने के लिए,
पर तुम जोश मे होश खोना नहीं।
ये आएंगी बिन चिता के जलाने के लिए,
पर तुम जलना नहीं।
कौन ...?
"रुकावटे"
पर तुम रुकना नहीं,
बन फौलाद खड़े हो जाना ,
परिस्थितयो के आगे।
खुद ही को ढाल बना के,
सर्वस्व यहां बिछा के।
प्रकृति परीक्षा लेती है,
हर पौरुष, हर बल की
तू धीरज का ध्वज लेकर,
शौर्य पराक्रम दिखा दे।
तू रुकना न कभी, डरना न कभी ,
झुकना न कभी, इन परिस्थितयो के आगे।
लोभ, क्षोभ, क्षमा, याचना
सब कुछ तुमको घेरेबंदी,
लगा पाबंदी समय की सीमा
तुमको बंदी कर लेंगी।
रख साहस ,हौसला प्रचण्ड
आगे को बढ़ते रहना।
सफलता एक दिन चूमेगी कदम,
भले गिरो पर उठते रहना।
तू रुकना न कभी, डरना न कभी
झुकना न कभी इन परिस्थितयो के आगे।
मेहनत की दहाड़ लगा देना,
घुटनो को सहला लेना।
है जीवन तो सुख-दुख दोनो है,
तुम तालमेल बिठा लेना।
तू रुकना न कभी,डरना न कभी
झुकना न कभी इन परिस्थितयो के आगे।


- विभा श्रीवास्तव "विभांजली"


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