देश पर मर मिटने वाले,
कितने ऐसे होते मतवाले।
मातृभूमि पर सर्वस्व न्यौछावर,
ऐसे ही कितने स्वतंत्रता सेनानी,
भारत के देशभक्त बलिदानी।
वीर सुभाषचंद्र बोस उनमें एक,
राष्ट्रसेवा के लिए विचार थे नेक।
नरम नहीं अपितु गरम दल के नेता,
क्रांतिकारी विचारों के अमर प्रणेता।
रक्त- अर्घ्य देने को सत्वर,
राष्ट्रसेवा के सदैव तत्पर।
उनके सत्कर्मों का कर स्मरण,
अनुशीलन करें जहाँ पड़े चरण।
वीरोचित मार्ग का अनुसरण कर,
जाने कैसा होता अमर मरण।
- डॉ० उपासना पाण्डेय
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