साहित्य चक्र

14 September 2025

हिंदी दिवस विशेष- 2025




जन-जन की आवाज़ है हिंदी

जन -जन के मन से उठती, एक मीठी आवाज़ है हिंदी,
चमके मां भारती के सिर, एक अनोखा ताज है हिंदी।

विराट साहित्य है संजोती, महिमा इसकी अपरंपार,
दिए हैं इसने दुनिया को, कवि, लेखक और नाटककार।

बांधती है भिन्नताओं को, एकता की मजबूत डोर से,
जिंदाबाद रहेगी हिंदी, आती आवाज़ देश के हर छोर से।

हर रिश्ते को ये भाषा, देती अलग नाम और परिभाषा,
देशी –विदेशी भाव- विभोर होते, जाग जाती एक आशा।

आज़ादी के समय बनी थी, देश के जोश की अभिव्यक्ति,
एकत्र किया था हर भारतीय को, संघर्ष की दी थी शक्ति।

भाषण देकर हिंदी में, आज़ादी के परवानों ने था जगाया,
देश की आज़ादी में था, हिंदी ने दायित्व अपना निभाया।

राजभाषा का दर्ज़ा देकर, हर बर्ष तुम्हारा दिवस मनाते है,
राष्ट्र भाषा की जब बात है आती, एहमियत क्यूँ भूल जाते है।

फिजी देश ने दिया सम्मान, अधिकारिक दर्ज़ा वहां है पाया,
नेपाल,गुयाना, सूरीनाम, मारीशस में भी है डंका बजाया।

वो दिन भी आएगा, जब राष्ट्रभाषा होने पर होगा हमें गुरूर,
प्रेम, पन्त ,निराला को था ज्यूँ, तुझमें भावों को रचने का शुरूर।

बस एक भाषा नहीं है, तू है अंतर्मन की लहरों की अभिव्यक्ति,
संयुक्त राष्ट्र संघ भी सुन चूका है, क्या है तेरे शव्दों की शक्ति।

आओ अब हम सब मिलकर, प्रयोग को इसके बढ़ाते जाएँ,
साहित्य ,संस्कृति और सभ्यता के, तराने अपनी हिंदी में गायें।


- लता कुमारी धीमान


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जन जन की प्यारी है हिन्दी
हर बाग की क्यारी है हिन्दी
असमान में जो चमके अलग
वो चांद सितारों में है हिंदी
कवियों की भाषा में हिन्दी
साहित्य की गाथा में हिन्दी
हिन्दी है हिन्द की भाषा में
और परिभाषा में है हिन्दी
हिन्द हिन्दी का सम्मान करे
है भारती यह अभिमान करे
आरती की थाली में हिन्दी
मस्जिद की अजानो में हिन्दी
हिन्दी है गुरु की वाणी में
ईशु के त्योहारों में हिन्दी
हिन्दी है बुद्ध संदेशों में
कबीर के दोहों में हिन्दी
हिन्दी है भाषा जन गण की
अभिव्यक्ति की वाणी है हिन्दी
हिन्दी है हिन्द के प्यारों की
हिन्दी"नरेन्द्र" से मतवालों की
करूं कमाना हिन्दी का ऊंचा सदा मान रहे
गुंजमान हो गगन धरा जयघोष सदा गुणगान रहे
गुंजमान हो गगन धरा जयघोष सदा गुणगान..


- नरेन्द्र सोनकर


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मेरी भावों की मलिका
हिंदी आई इठलाकर
बोली रखना तुम सदा
मुझको ही संभाल कर,
संस्कृत मेरी जननी है
अन्य हैं मेरी भगिनी ।
देशीय भाषाओं का रुप
धर मैं बनी उनकी संगिनी।
मां भारती की संस्कृति,
मै वेदों पुराणों की वाणी,
मुझसे ही राष्ट्र पल्लवित,
मै ही मंत्रो की युग वाणी
उर से उर के तार जुड़े
मेरी ही तो भाषा में।
मेरी ध्वनि है उच्चरित,
हर प्राणी के अभिलाषा में।
फिर भी करुण व्यथा लिए
मै विचरण करती हूं।
जब भारती मां के अंक में
आंग्ल भाषा को देखती हूं।
बैर नही मुझे उससे पर,
बस इतना मुझे बता देना,
मेरा प्रेम बस तुमसे है
यह बात मुझे जता देना।


- रत्ना बापुली


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तुम रूह मेरी, तुम ही मेरा व्याकरण हो
तुम आरज़ू मेरी, तुम मेरा आवरण हो

तुम ही संज्ञा, तुम ही सर्वनाम हो
तुम ही हर पल, तुम ही सुबह शाम हो

तुम सन्धि मेरी, तुम ही समास हो
तुम ही भावना, तुम ही एहसास हो

तुम यति, गति, लय, तुम जीवन का छंद हो
तुम बसंत की बहार, तुम मधुर मकरंद हो

तुम संयुक्त, सरल वाक्य, तुम काव्य अलंकार हो
तुम संक्षिप्त पल्लवन, तुम विपुल विस्तार हो

तुम उपसर्ग, प्रत्यय, तुम विशेष्य, विशेषण हो
तुम काल, वचन, तुम क्रिया, प्रकरण हो

तुम विलोम, प्रयाय, तुम भावनाओं का जाम हो
तुम रस, कारक, तुम मोहब्बतों का पूर्ण विराम हो


- मोहन मीणा


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हिंदी हमारी मातृभाषा

हिंदी है माथे की बिंदी, संपन्न समृद्ध भाषा है यह,
शब्दों का भंडार है इसमें, कितने भाव दर्शाती है,
युग युगांतर से प्रचलित है, प्राचीन भाषा कहलाती है,
भाषा यह कितनी समृद्ध है, संग्रह सूची बतलाती है।

भावों का सुंदर रूप बताती, देवनागरी लिपि कहलाती है,
हिंदी का विस्तार है इतना, जन जन में बोली जाती है,
मिश्री से भी मधुर ये भाषा, मातृभाषा कहलाती है।

शब्दों का भंडार है इसमें, समृद्ध भाषा कहलाती है,
हिंदी है माथे की बिंदी, जन-जन में बोली जाती है।

सभी भाषाओं का मूल है हिंदी, भारत की पहचान है हिंदी,
विश्व प्रसिद्ध समृद्ध भाषा है, शब्दों का ये संपूर्ण खजाना,
संस्कारों का ज्ञान कराती, सबका आदर मान सिखाती,
भावों का सुंदर रूप समेटे, लेखन का विस्तृत रूप है हिंदी।
सरल, शुद्ध, समृद्ध भाषा है, हिंदी हमारी मातृभाषा है।


- कंचन चौहान


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हिन्दी की व्यथा 

मेरे वजूद को  ये कैसा ग्रहण लगा
हर कोई मुझसे दूर दूर है चला।
नई पीढ़ी मुझसे परहेज लगी है करने
देख इन्हें मैं सिसकियां लगी हूं भरने।

मेरी जब भी आती है बारी
मानों सब पर विपदा आन पड़ी हो भारी।
मुझे सिखना थोड़ा कठिन है जरूर 
पर जिसने भी सीखा मुझसे नहीं जाता है दूर।

मेरी मात्राओं से नहीं है घबराना 
टेढ़ी मेढी ही सही पर उचित ढंग से है लगाना।
कोई मेरी बिन्दी लगाना भूल है जाता 
देख अपना रुप कुरूप दर्द भी बड़ा होता।

अल्प विराम,पूर्ण विराम लगाना भूलने लगे हैं सब
मेरे अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है शायद अब।
मुझे अपनाने में शर्म मत करना 
अन्यथा खामियाजा बहुत पड़ेगा भरना।

सपना था समस्त विश्व मुझे अपनाएं
पर यहां तो अपने ही होने लगे हैं पराए।


- विनोद वर्मा


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कभी इनकार में कभी इकरार में
कभी डाँट में कभी फटकार में
कभी प्यार में कभी मनुहार में
कभी जज़्बातों के ढेरों गुबार में
हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।

शिरोरेखा से सजी है,
चन्द्रबिन्दु और अनुस्वार से सँवरी है
मात्राओं के उलझे हुए जाल में
शब्दकोशों के प्रभाव में
हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।

कविताओं में कहानियों में डूबी है,
यात्रा वृतांत भी नही इससे ऊबी है
संस्मरण ,निबन्ध और लेख में
दोहा,सोरठा और चौपाई के देख रेख में
हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।

हिंदी से ही हमारे सारे संस्कार है,
हिंदी में डूबे हमारे व्यवहार हैं,
शब्द की खूबसूरती से हमें प्यार है
हिंदी से ही होते सारे व्यापार हैं।
हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।


- रूचिका राय


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हिन्दी तुम्हीं हो राष्ट्र की शान
सुशोभित तुम्हीं से सारा देश
मेरे वतन की तुम लाडली भाषा
सदियों से तुम्हीं से नाता हमारा
बच्चा बच्चा हिन्दी तुम्हें है प्यारा
राष्ट्र की तुम से है विशेष पहचान
हिन्दी तुम्हीं हो राष्ट्र की शान...

विदेशी भाषा में नहीं अपनापन
अंग्रेजी अपनाना नहीं है सस्तापन
वतन की आबरू प्रतिष्ठा तुम्हीं से
भारत भूमि का है श्रृंगार तुम्हीं से
हर काम मातृ भूमि में करे हम ,
इसी से ही बनेगा हमारा राष्ट्र महान
हिन्दी तुम्हीं हो राष्ट्र की शान...

राष्ट्र को जोड़ने की अदभुत क्षमता
एक सूत्र में पिरोने का है सामर्थ्य ,
आगम निगम को है अपनाती
अंग्रेजी, फ़ारसी अरबी गले लगाती,
हिन्दी हमारी है मधुर और प्यारी भाषा
हिन्दी में बात करें, हिन्दी में काम करें
तभी बनेगा हमारा राष्ट्र महान,
आओ मिलकर करे, राष्ट्र भाषा का सम्मान।


- बाबू राम धीमान


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हिंदी केवल इक भाषा नहीं

हिंदी केवल इक भाषा नहीं,
हर आम आदमी की गाथा है।
जन - जन के मन और आत्मा में जो बसी
केवल हिंदी इक अपनी ऐसी भाषा है।

भारत मां के भाल में सजे जो स्वर्णिम
बिंदी बनकर ऐसी इक मात्र अपनी हिंदी भाषा है।
यूं तो हैं दुनियां में कई भाषाएं पर हिंदी जैसा ना कोई और दूजा है।

भारत की एकता का प्रतीक है हिंदी।
अपने वतन की सबसे प्यारी भाषा है हिंदी।

भारतवासियों की वेदना को व्यक्त करती है हिंदी।
अमर शहीदों के साहस और शौर्य का व्याख्यान करती है हिंदी।

हर घर की लाज है हिंदी, भारत की आन, बान और शान है हिंदी।
बिना भेदभाव किए हुए लेती विभिन्न प्रान्तों के
लोगों को जो अपनी शरण में ऐसी लाजवाब भाषा है हिंदी।

हिंदी ही सरस्वती है, हिंदी ही समस्त ज्ञान की देवी है।
हिंदी तुलसी, कबीर और समस्त ऋषि मुनियों का मान है।

संगीत का सुर है हिंदी, इक कवि का अभिमान है हिंदी।
हमारे देश की परंपरा का प्रतीक है हिंदी।

हिंदी केवल इक भाषा नहीं,
भारत माता की सबसे चहेती बेटी है।
हिंदी भाषा से ही कहलाता भारत सोने की चिड़िया,
अपनी हिंदी भाषा अपनी विविधता
और सुंदरता के लिए सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है।


- रजनी उपाध्याय


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हिंदी मेरे रोम–रोम में बसी है।

बचपन से लेकर आज तक,
हर खेल से हर काज तक।
प्रसन्नता से लेकर व्यथा तक,
हर सच्चाई और हर कथा तक।।
हर अवस्था इसी में जी है,
हिंदी मेरे रोम–रोम में बसी है।

हर सुख–दुःख की कल्पना,
हर एक आशा हर सपना।
मेरी पूजा मेरी वन्दना,
मेरे अनुभवों की संकल्पना।।
हिंदी भाषा ने मुझे दी है,
हिंदी मेरे रोम–रोम में बसी है।

चैत्र से लेकर फाल्गुन तक,
पतझड़ से लेकर सावन तक।
हर बोल से लेकर कविता तक,
हर दिवा से लेकर निशा तक।।
मेरे मन मंदिर में सजी है,
हिंदी मेरे रोज-रोम में बसी है।


- अशोक कुमार शर्मा

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हिंदी-मेरी आत्मा का स्पंदन
मेरे रग-रग में, मेरे श्रृंगार में सुसज्जित,
मेरे तन-मन में रमण करती,
मेरे अधरों का मधुर गीत है- हिंदी।
मेरी श्वासों में, मेरी धड़कनों में,
मेरे रक्त की प्रत्येक धारा में प्रवाहमान,
मेरी सच्ची सखी, मेरी निज निकटतम मीत है- हिंदी।
मेरे जीवन-साज़ पर सुरों का हार सजाती,
भावनाओं की गंगा में अमृत छलकाती,
प्रथम प्रीति की प्रथम अभिव्यक्ति है- हिंदी,
मेरी आराध्या, मेरी वनीता, मेरी श्रद्धिता- हिंदी।
एकता की डोर से सबको बाँधती,
हर भाषा की सहचरी, सहगामिनी कहलाती,
विविध भाषाओं का मान रखती,
मेरी साधना, मेरा सम्मान, मेरा धर्म है- हिंदी।
तत्सम, तद्भव, देशज या विदेशी-
हर रंग में रंगकर भी अपना आभामंडल रचती,
मेरे व्यक्तित्व का सार,
मेरी आत्मा का आधार है- हिंदी।
हिंदी सूर, कबीर, तुलसी, जायसी का स्वर है,
हरिश्चंद्र की करुणा, महादेवी की वेदना-गीत है,
मैथिलीशरण की अभिव्यक्ति,
माखनलाल की प्रखर लेखनी है,
बच्चन, पंत और निराला की अमर अनुगूँज है।
हिंदी मेरे देश का गौरव,
मेरा स्वाभिमान, मेरा अभिमान है।
हिंदी गद्य भी है, पद्य भी है,
दोहों और छंदों का अनुपम संगम है।
मिसरी-सी मधुर, रसों से परिपूर्ण,
मेरी गौरव-गाथा, मेरी आत्मा का नाद है- हिंदी।


- निशि धल सामल


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"अ"चानक
"आ"कर मुझसे
"इ"ठलाता हुआ पंछी बोला
"ई"श्वर ने मानव को तो
"उ"त्तम ज्ञान-दान से तौला
"ऊ"पर हो तुम सब जीवों में
"ऋ"ष्य तुल्य अनमोल
"ए"क अकेली जात अनोखी
"ऐ"सी क्या मजबूरी तुमको
"ओ"ट रहे होंठों की शोख़ी
"औ"र सताकर कमज़ोरों को
"अं"ग तुम्हारा खिल जाता है
"अ:"तुम्हें क्या मिल जाता है.?
"क"हा मैंने- कि कहो
"ख"ग आज सम्पूर्ण
"ग"र्व से कि- हर अभाव में भी
"घ"र तुम्हारा बड़े मजे से
"च"ल रहा है
"छो"टी सी- टहनी के सिरे की
"ज"गह में, बिना किसी
"झ"गड़े के, ना ही किसी
"ट"कराव के पूरा कुनबा पल रहा है
"ठौ"र यहीं है उसमें
"डा"ली-डाली, पत्ते-पत्ते
"ढ"लता सूरज
"त"रावट देता है
"थ"कावट सारी, पूरे
"दि"वस की-तारों की लड़ियों से
"ध"न-धान्य की लिखावट लेता है
"ना"दान-नियति से अनजान अरे
"प्र"गतिशील मानव
"फ़"ल के चक्कर में
"ब"न बैठे हो असमर्थ
"भ"ला याद कहाँ तुम्हें
"म"नुष्यता का अर्थ.?
"य"ह जो थी, प्रभु की
"र"चना अनुपम...
"ला"लच लोभ के
"व"शीभूत होकर
"श"र्म-धर्म सब तजकर
"ष"ड्यंत्रों के खेतों में
"स"दा पाप-बीजों को बोकर
"हो"कर स्वयं से दूर
"क्ष"णभंगुर सुख में अटक चुके हो
"त्रा"स को आमंत्रित करते हुए
"ज्ञा"न-पथ से भटक चुके हो।


- डॉ. रितेश झारिया


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हिंदी सिर्फ भाषा ही नही है,
हिंदी हमारी पहचान है,
हिंदी से हम है, हिंदी से हिंदुस्तान है।

हिंदी से है व्याकरण,
हिंदी से ही है वर्तनी,
हिंदी की बंदी और चन्द्रबिन्दु,
हिंदी से ही है स्वर और व्यंजन।

हिंदी जन मानस की है बोली,
हिंदी सरलता से करती खूब ठिठोली,
हिंदी दिलों के तार को है जोड़ती,
हिंदी भारत को आपस में है जोड़ती।

आओ हिंदी भाषा में संवाद करें,
हिंदी से खुद को एक निखार दें,
हिंदी से खुद का विस्तार करें,
हिंदी को दिल से स्वीकार करें।


- कल्पना पाण्डेय


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हिन्दी से है हिंदुस्तान


अनेकता में एकता का सूत्र पिरोती। भाषा हमारी हिन्दी है।
सखी सब भाषाओं की, माँ भारती के ललाट की सुन्दर बिंदी हैं।

माँ की इसमें बोली है बसी, आन, बान और शान हमारी हिन्दी है।
देश का गर्व है इससे, सभ्यता हमारी इसी से जिन्दी है।

मातृतुल्य है हमें ये, हम सब हैं इसकी संतान।
अस्तित्व,इसका मिटने न पाए ,न्योछावर चाहे हों जाए जान।

गौरव देश का इसी से है, हम सब का ये है अभिमान।
प्यारी हैं सब भाषाएँ मगर, है हिन्दी हमारी जान।

एक ही सुर एक ही ताल, एक ही अपनी तान हों।
हिन्दी की जो निंदा करे, फिर ऐसा न कोई नादान हों।

सारे जहां में फैले हिन्दी, हम सब का ये अरमान हों।
गुणगान हों विश्व में इसका, और इसका सम्मान हों।

सूर, जायसी, तुलसी, कवियों की सरित लेखनी से वही है हिन्दी।
कालजयी गौरव गाथा एकता की अनुपम परंपरा रही है हिन्दी।

देवनागरी लिपि है इसकी ,संस्कृत की संतान है हिन्दी।
शांति ,प्रेम ,अहिंसा फैलाती ,विश्व बंधुता की जुवान है हिन्दी।

धरम,मातृभाषा न छूटे, सीख लें हम कोई जुबान।
उड़ान खुले पंखों से ले लें, बहुत खुला है आसमान।

कद्र करें हम हर जुबान की, पर अपनाएँ अपनी जुबान।
याद रहे इतना सबको, संस्कृत से है संस्कृति हमारी।
हिन्दी से है हिंदुस्तान, हिन्दी से है हिंदुस्तान।


- धरम चंद धीमान


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दो वर्तमान का सत्य सरल,
सुंदर भविष्य के सपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो

यह दुखड़ों का जंजाल नहीं,
लाखों मुखड़ों की भाषा है
थी अमर शहीदों की आशा,
अब जिंदों की अभिलाषा है

मेवा है इसकी सेवा में,
नयनों को कभी न झंपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो

- विकास कुमार शुक्ल


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व्यवहारिकता में,
हिंदी में अंग्रेजी? ‌‌
अंग्रेजी में हिंदी?
हर सांस में अंग्रेजी?
चलते फिरते अंग्रेजी?
नाश्ता अंग्रेजी?
खान-पान अंग्रेजी?
दुआ सलाम अंग्रेजी?
अंगवस्त्र नाम अंग्रेजी?
नींद अंग्रेजी?
जागे तो अंग्रेजी?
दिन-रात अंग्रेजी?
रिश्ते अंग्रेजी?
मंगनीअंग्रेजी?
विवाह अंग्रेजी? हनीमून अंग्रेजी?
डैड बाडीअंग्रेजी?
संस्कार अंग्रेजी?
हिंदी का टंकन भी अंग्रेजी ?
और हिंदी दिवस भी हैप्पी ?
बाल गोपाल को सिखाते हैं
गुड मार्निंग गुड इवनिंग, अंकल-आंटी,
टा-टा, बाय -बाय ?
मोबाइल पर पहला शब्द "हैलो"अंग्रेजी ?
केवल और केवल औपचारिकता निभा रहे हम
शुभकामनाएं हिंदी दिवस की ?


- बृजलाल लखनपाल


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हिंदी, हमारी धरोहर, हमारी अस्मिता

हिंदी हमारी संस्कृति की आत्मा है,
इसे खोकर हम अपनी पहचान खो देंगे।

जिस देश की भाषा जीवित रहती है,
वही देश सदैव अमर रहता है।

हिंदी बोलना केवल भाषा बोलना नहीं है,
यह दिल से दिल को जोड़ने का माध्यम है।

हिंदी राष्ट्र की एकता का वह सूत्र है
जो विविधताओं को संगति में पिरोता है।

हिंदी केवल शब्दों की भाषा नहीं,
यह भारत की लय, ताल और धड़कन है।

हिंदी दिवस मनाना केवल एक दिन का उत्सव नहीं,
बल्कि अपनी आत्मा, संस्कृति और
अस्मिता को संभालने का संकल्प है।

हिंदी हमारी धरोहर है, हमें इसे विरासत की
तरह संजोकर अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है।

हिंदी वह सूर्य है जिसकी रोशनी
भारतीयता को उजागर करती है।


- डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज


*****


हिंदी का गुणगान करो

भारत की भाषा हिंदी है
हिंदी का तुम मान करो
क्यों पड़े हो अंग्रेज़ी के पीछे
तुम हिंदी का गुणगान करो

जिस देश का नाम ही हिंदी हो
जिसके माथे की बिंदी हो
उस देश में हिंदी क्यों पीछे
ज़रा इसका तुम ध्यान करो
तुम हिंदी का गुणगान करो

जब बाहर कभी हम जाते है
अपने को हिन्दोस्तानी बताते हैं
वह अपनी मातृ भाषा बोलते हैं
हम अंग्रेज़ी में बतियाते हैं

पैदा हम हिंदी में हुए
हिंदी में ही मर जायेंगे
हिंदी तो माता है अपनी
नहीं इसको भूल पाएंगे

क्यों विमुख हो रहे हिंदी से
हिंदी भाषा तुम अपनाओ
मां है हिंदी जान है हिंदी
बोलते इसको मत शरमाओ

जितना मर्जी कोई ज़ोर लगा ले
नहीं होगा इसका रुतबा कम
हिंदी का रास्ता जो रोक सके
नहीं किसी में इतना दम

हिंदी हिन्द की पहचान है
कौन आज इससे अनजान है
हिन्द की रग रग में बसी है हिंदी
हिंदी उगते सूरज के समान है

जब कोरोना सब पर भारी था
तब दूरी सब अपनाते थे
पास आने से डरते थे
नमस्ते से काम चलाते थे

नमस्ते ने ही पूरे विश्व को
एक नया संदेश दिया
भारतबासी हैं सबसे आगे
दुनियां को यह बता दिया


- रवींद्र कुमार शर्मा


*****

फिर आया हिंदी दिवस
रोता-गाता मित्र
हम बसते निज देश में
धरकर चित्र,विचित्र।

सालों भर अंग्रेज़ी भजें,
गीता भी आंग्ल में गाएँ
जब आए हिंदी दिवस,
मिलकर मोद मनाएँ।

काहे को हिंदी दिवस,
जब आंग्ल माह और वर्ष
पल-पल हिंदी घुट रही,
यह कैसा उत्कर्ष ?

अंग्रेज़ी ही सभ्यता,
अंग्रेज़ी जय गान
अंग्रेज़ी भजते रहो,
मिले मान-सम्मान।

हिंदी केवल दिवस भर,
दो घंटे की बात
भाषण जमकर दे दिया,
यह विधि का आघात।

फिर भी दिल मे हिंदी बसे
अंग्रेज़ी परदेश
हिंदी सबकी आत्मा
यह मानस-गणवेश।

हिंदी गरजेगी सदा
यह सबके दिल की बात
सबका प्रेम मिले हिंदी को
हो सदा स्नेह-बरसात।


- अनिल कुमार मिश्र


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