साहित्य चक्र

29 September 2025

संस्मरण- शहद की चोरी


यह बात उस समय की है जब मैं चौथी कक्षा की छात्रा थी। मेरे पिता जी शिमला शहर में नौकरी करते थे। पिता जी छुट्टी के घर आये थे और खाने- पीने की बहुत सी चीज़ें भी अपने साथ लाये थे। जिनमें मिठाइयां, फल और दूसरी वस्तुएं शामिल थी। लेकिन मुझे जो सबसे अच्छी चीज़ लगी थी, वह थी वहां के स्थानीय लोगों के द्वारा मधुमक्खियों के छत्तों से निकाले गये शहद से भरी हुई शीशे की बोतल। पिताजी के आने के बाद मिठाई, दूसरी सभी चीज़ें और फल खाने को मिले, लेकिन मेरी नजर उस शहद की बोतल से नहीं हट रही थी। जब मुझसे रहा नहीं गया तो मां से शहद की मांग कर ली।






खाने में इतना स्वादिष्ट लगा कि मां के द्वारा दिए हुए से मन ही नहीं भरा, एक बार फिर मांग लिया फिर भी लालच बढ़ता गया और तीसरी बार मांगने पर शहद तो नहीं मिला लेकिन डांट जरूर पड़ गई। मां ने सारा सामान अपनी-अपनी जगह पर रख दिया और शहद की बोतल को भी एक कमरे की अलमारी में रख दिया। मैंने उनको रखते हुए देख लिया और चुपचाप वहां से निकल गई। रात को सभी सो गए मैं धीरे से अलमारी के पास गई और बोतल को निकल कर थोड़ा शहद खा कर सो गई। अगले दिन भी स्कूल से घर आकर जब भी मौका मिला थोड़ी- बहुत शहद का मज़ा लेती रही।


फिर अगले तीन चार दिन तक यही सिलसिला चलता रहा और जब मैंने ध्यान से बोतल को देखा तो शहद की बोतल आधी से भी नीचे आ गई थी। अब मैं डर गई थी कि जैसे ही मां इस बोतल को आधे से ज्यादा खाली देखेगी तो फिर दोषी तो मैं ही सिद्ध हूँगी। फिर मेरा क्या होगा ?

बस इसी डर के मारे कुछ और नहीं सूझा और मैं रसोई में गई चीनी के डिब्बे से कटोरी में चीनी ली और आकर बोतल में डाल दी। फिर पानी का गिलास लाया और उसमें डालकर ढक्कन को बंद करके बोतल को अलमारी में रख दिया। फिर उस तरफ गई ही नहीं। अगले दो दिन बाद पिता जी ने वापिस अपनी नौकरी को चले जाना था। मां ने उन्हें बोला कि अगले कल पंडित जी को बुलाकर पूजा करवा लेते हैं। अगली सुबह पंडित जी आये और एक-एक करके पूजा की सामग्री इक्कट्ठी की जाने लगी।

शहद लाने को भी खा गया। मां अलमारी की ओर गई और जैसे ही बोतल पर उनकी नजर पढ़ी, व्बो हैरान हो गई। मुझे आवाज़ लग गई और बहुत लाड प्यार से मुझसे सच उगला लिया गया और फिर पहले छड़ी से मेरी ही पूजा शुरू हो गई। शोर सुन पिता जी आ गये और सारी बात सुन कर मां से मुझे छुड़ाकर अपनी गोदी में पकड़ लिया। और कहने लगे तुझे शहद इतना ही पसंद है तो यूँ छुपकर क्यूँ खाया। मांगकर खा लेती। कोई बात नहीं मैं आपके लिए एक और बोतल ले आऊंगा।


- लता कुमारी धीमान





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