साहित्य चक्र

03 September 2025

कविता- उड़ान सपनों की





सपनों की ऐसी उड़ान
जो कभी ना देती थकान,
जो नींद ना आने देती ना.
ऐसे सपने ही चाहिए ना।

जो विचार प्रवाह में दौड़े
सपना पूरा करना है,
लक्ष्य नहीं मिले जब तक
कमर कस लेनी है तब तक‌।

सपनों की मंजिल ऐसी हो
अहसास ना होने दे किसी को,
जब ऐसे सपने होंगे
तो ही पूरे होंगे ।

इस उडान में कभी ना भटकना,
नई तरंगो नई उमंगो को
जिंदगी का हिस्सा बनाना,
दोस्ती, यारी में तुम ना फंसना
सपनों की उडान
को तुम पूरी करना,
सबसे अलग करोगे
तो कुछ बन जाओगे,
चाहे आये मुश्किलें हजार
तेरे होंगे सपने साकार,

तुम संघर्ष करोगे
तो ही आगे बढ़ोगे,
कई बार गिरोगे
कई बार उठोगे,

तभी तो इस प्रक्रिया में
सपनों को
हवा दे पाओगे,

हौसलों में उडान रखोगे
तभी सपनों में
जान भर पाओगे,

थक हार कर
नहीं बैठना है।
पहचान को आसमान
तक पहुंचाना है,
हौसलों की बुलंदी को
अनंत तक ले जाना है।


- बबिता कुमावत


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