आज कल लोगो का शौक अजब गज़ब होते जा रहा है। गाय पालने वाले घरों में कुत्ते पाले जा रहे है। बड़े शान से उसका दाम भी बताया जा रहा है, 12000 का हैं, 14000 का है। अपने बिहार की राजधानी पटना से लिए, मैंने भी ऐसे ही उनकी थोड़ी प्रशंसा कर दी। मतलब भाई जी को फूला दिया। कुत्ता तो कुत्ता है भाई जी एकदम कुचु कुचु टहकार करिया। बहुत स्मार्ट लुक लग रहा है। इसका कोई जवाब नहीं है।
इतना सुनते ही पूछिए मत फिर क्या था। अंग्रेजी और हिंदी यानी हिंगलिश में उसका खाना पखाना तक चर्चा का विषय बना दिया और लगा हमको पकाने, फिर क्या मैं भी भोजपुरीया हिंदी में जम्हाई लेते लेते कुछ देर लपेटता रहा। मन ही मन सोचता रहा, बताइए भला दिन भर जो नशा में चूर रहता हो।
माँ बाप का एकलौता बारिश हो। खाने पीने में शुद्ध से ऊपर शाकाहारी हो। घर का खर्चा की बात ही नहीं करनी मुझे। पढ़ने-लिखने में कलक्टर को भी शर्मिंदा करता हो। ओ आज कुत्ते की डाइट पर लेक्चर दे रहा हो, तो मन का प्रसन्न होना लाजमी ही होगा।
ओ भी तब जब भाई जी के मुखारबिन्द से कुत्ते जैसे जानवर को डाइट मे रोज केला, सेब, दूध-भात और पियोर शाकाहारी खिलाने की बात सुननी पड़े। ध्यान दीजियेगा रोज मतलब प्रतिदिन, तब-जब कृषि की पढ़ाई के समय
एनिमल हस्बेंडरी वाले सर से बातों बातों में कुत्ते की भी चर्चा सुन चूका हूँ।
कि कुत्ता जानवर मांसाहारी होता है, के आलावा गप गप अंडा मास खाते कुत्ते, ओ करिया हो या सफ़ेद या चितकबरा कुत्ता मतलब कुत्ता। जिसको देखता भी हूँ आप लोग भी देखें ही होंगे। ये आशा नहीं पूर्ण विश्वास है जी। हसीं और गुस्सा दोनों आ रहा था।
मग़र कर भी कुछ नहीं सकता था। इतने तारीफ पे तारीफ सुनने के बाद ओ बेचारा काला कुत्ता मेरे गली में छेरते हुए यानी पतला पोट्टी करते हुए अपने आवास कि तरफ अपने मालिक के साथ प्रस्थान करने लगा। मैं भी चैन की सांस लेने ही वाला था कि ध्यान आया कि कांड कर गया कुत्ता, मेरे ही गली में मेरे दरवाज़े के पास ही ओ काला कुत्ता लिक्विड फॉर्म में हग चूका है।
मैं गलियों को गालियों के साथ धोने कि सोचने लगा ताकि कल सुबह किसी अपनों के पैरो का श्रृंगार न हो जाए और फिर मैं धोने लगा। अब बस जा रहा हूँ स्न्नान करने गाय पालने वाले कुत्ते पर आ जाए, तो आप भी अचंभित ना होइएगा।
आपकी गली में आपके दरवाज़े पर भी ये सॉलिड या लिक्विड फॉर्म में सुबह-सुबह मिल सकता है। बी अलर्ट क्योंकि मेरा प्रैक्टिकल अनुभव है जी धोने का धोने का हा.. हा.. हा.. हा..
- राघवेंद्र प्रकाश 'रघु' / बक्सर, बिहार



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