साहित्य चक्र

05 September 2025

शिक्षक दिवस विशेष कविताएँ




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गुरु की महिमा


अपरंपार है महिमा गुरु की,
ज्ञान के हैं अथाह सागर,
जीवन राह हमें दिखलाते,
भरते गागर में सागर।

मिलता ज्ञान कृपा से जिनकी,
जीवन बनता स्वर्ग समान,
संस्कारों के पुष्पों से सजती,
जीवन बगिया बनती महान।

लक्ष्य सिद्दी के गुर मिलते,
जीवन मूल्यों का होता ज्ञान,
त्याग ,तपस्या,संघर्ष शक्ति,
सच्च की राह हो जाना कुर्बान।

मेहनत की कीमत सिखाते,
प्रेरणा बनते दीपक समान,
परमार्थ की राह पर चलकर,
कर देना अपना जीवन बलिदान।

रहें आभारी हम जीवन भर,
चरणों में आपके सेवक समान,
करती रहे जिव्हा हमारी,
तुम्हारी महिमा का ही गुणगान।


- धरम चंद धीमान


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गुरु

खुद को जला जो दूसरों को रोशन करता है,
वो शख्स जगत में फिर गुरु कहलाता है।

अंधेरे से जो उजियारे की राह दिखाए,
वो शख्स जगत में फिर गुरु कहलाता है।

नन्हे परिंदों को जो उड़ना सिखाए,
वो बाजीगर फिर गुरु कहलाता है।

छोटे छोटे कदमों को जो रफ़्तार लेना सिखाए,
वो शख्स जगत में फिर गुरु कहलाता है।

तुतलाते बचपन को जो खिलखिलाना सिखाए,
वो गुरुकुल बाग़ का माली फिर गुरु कहलाता है।

जीवन जंग में जो हालातों से लड़ना सिखाए,
वो शख्स जगत में गुरु द्रोण कहलाता है।

जीवन क्षेत्र की आड़ी तिरछी रेखाओं में,
कर्म के रंग भरना सिखाए वो गुरु कहलाता है।

हजारों उम्मीदों के चिरागों को जो जलाकर रखे,
जग को ज्ञान से रोशन करे जो गुरु कहलाता है।


- राज कुमार कौंडल


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वो ही सच्चे शिक्षक कहलाते हैं

शून्य दिमाग़ की कसरत जो करवाते हैं,
किताबों का ज्ञान जो सिखलाते हैं,
ऐसे महान व्यक्ति होते हैं जो,
वो श्रेष्ठ जन ही सच्चे शिक्षक कहलाते हैं।

जीवन में ज्ञान की ज्योति जो जलाते हैं,
ज्ञान का अंधियारा जो मिटाते हैं ,
अपने अनुभव से दूसरों का जीवन सफल बनाते हैं,
ऐसे श्रेष्ठ जन ही सच्चे शिक्षक कहलाते हैं।

सपने सच करने का मूल मंत्र जो सिखलाते हैं,
कठिन डगर पर आगे बढ़ने का एहसास कराते हैं,
जीवन रूपी संसार में संस्कारों को मिलाते हैं,
ऐसे श्रेष्ठ जन ही सच्चे शिक्षक कहलाते हैं।

ईमानदारी, सच्चाई और लगन का पाठ जो पढ़ाते हैं,
हर क्षण को अवसर में बदलना जो सिखलाते हैं,
जीवन में सफलता के शिखर तक जो पहुंचाते हैं,
ऐसे श्रेष्ठ जन ही सच्चे शिक्षक कहलाते हैं।

सारी भाषाओं का जो ज्ञान करवाते हैं ,
शून्य दिमाग में जो ज्ञान का दीप जलाते हैं ,
सफलता का असली मतलब जो सिखलाते हैं,
ऐसे श्रेष्ठ जन ही सच्चे शिक्षक कहलाते हैं।


- कै. डॉ. जय महलवाल अनजान


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गुरुजन महान

हैं सबसे पहली जीवन में मेरी जो शिक्षक,
जीवन दायिनी मां मेरी ,प्रतिपल मेरी रक्षक।

लहू अपने से सींच-सींच जीवन किया मुझे प्रदान,
लाकर संसार में जीवन शिक्षा का नित दिया ज्ञान।

औपचारिक शिक्षा पाने भेजा गया पाठशाला,
नमन उस गुरु को सिखाई जिसने अक्षरमाला।

छोटे कोमल अधरों से करवाया सही उच्चारण,
नन्हे नाजुक हाथों से करवाया लेखन निवारण।

हर बर्ष प्रगति हुई, मिली नव कक्षा और नवकक्ष,
जमा, गुणा,घटाव ,भाग में बनाया बृज गुरु ने दक्ष।

व्याकरण और हिंदी मात्राएँ श्री लभ्भू गुरु ने पढ़ाई,
बिंदी और वर्तनी की गलती पर करते थे जो छंटाई।

विज्ञानं,इतिहास ,भूगोल से बलवीर गुरु ने परिचय करवाया,
जैक एंड जिल कविता को रूप लाल गुरु ने रटाया।

सांस्कृतिक उत्थान खातिर करते थे रोज़ परिश्रम अथक,
नृत्य करना ,गाना भी सिखाते थे ये गुरुजन बेधड़क।

भाषणबाजी की कला गुरुओं ने ऐसी थी सिखलाई,
प्रतियोगिता हो कोई भी हमने हार कभी न खाई।

यूँ तो हर –पल ,हर कक्षा में हर अध्यापक ने नया सिखाया,
शिक्षा का आधार बने इन गुरुओं का ही ज्ञान काम आया।

कोई-कोटि धन्यबाद और सदा इन गुरुओं को नमन,
इन्हीं गुरुजनों के आशीर्वाद से आवाद है मेरा जीवन चमन।


- लता कुमारी धीमान


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गुरु

ज्ञान का भंडार गुरु है,
शिक्षा का आधार गुरु है।
गुरु बिन ज्ञान ना हो इस जग में,
शिक्षण का तो प्राण गुरु है।
शिक्षा के बिना जग में अंधियारा,
गुरु लाये जीवन में उजियारा।
गूगल, ए आई या चैट जी पी टी ,
गुरु की जगह न ले पाएंगे,
भले ज्ञान संग्रहण कर ले,
मन के भाव समझ नहीं पाएंगे।
गुरु शिष्य का प्यारा रिश्ता,
प्यार सम्मान मूल है जिसका,
समय के साथ बदलता जाए,
शिक्षक, टीचर, ट्यूटर और मैंटोर,
क्या-क्या समय से नाम है पाए,
जो जीवन को संस्कारित करते,
वह आज भी गुरु कहलाए।
ज्ञान का भंडार गुरु है,
शिक्षा का आधार गुरु है,
चाहे परिवर्तन कितना आए,
शिक्षा का आधार गुरु है,
शिक्षण का तो प्राण गुरु है।
गुरु शिष्य का प्यारा रिश्ता,
समय के साथ बदलता जाए,
गुरु का स्थान सदा ही ऊंचा,
भले, कितना परिवर्तन आए।
गुरु बिन ज्ञान ना हो इस जग में,
यही अटल सत्य कहलाए।


- कंचन चौहान


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गुरु हैं जैसे प्यारे तारे,
जो चमके नभ के किनारे।
राह अँधेरों में दिखलाएँ,
जीवन में खुशबू फैलाएँ।

गुरु हैं जैसे प्यारे सपने,
जो बच्चे में ज्ञान भर दे अपने
हौसलों की उड़ान सिखाते,
सपनों को सच कर देते।

गुरु हैं जैसे ममता की छाया,
हर दुःख-सुख में सदा सहाया।
उनके बिना जीवन अधूरा,
उनसे ही तो संसार है पूरा।

आज उन्हें दिल से धन्यवाद,
जिनसे मिलता जीवन का संवाद।
गुरुजी, आप हैं सबसे न्यारे,
आप ही हो हम सबके प्यारे।


- रेखा चंदेल


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शिक्षक तो अनमोल है

नूर तिमिर को जो करें, बांटे सच्चा ज्ञान,
मिट्टी को जीवंत करें, गुरुवर वो भगवान।

भरें प्रतिभा, योग्यता, बुनता सभ्य समाज,
समदृष्टि, सद्भाव भरें, पूजनीय ऋषिराज।

जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान,
गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।

धैर्य और विवेक भरें, करते दुर्गुण दूर,
तप, बल से निर्मित करें, सौरभ निर्भय शूर।

नानक, गौतम, द्रोण सँग, कौटिल्य संदीप,
अपने- अपने दौर के, मानवता के दीप।

चाहत को पर दे यही, स्वप्न करे साकार,
शिक्षक अपने ज्ञान से, जीवन देत निखार।

शिक्षक तो अनमोल है, इसको कम ना तोल,
मीठे हैं परिणाम बहुत, कड़वे इसके बोल।

गागर में सागर भरें, बिखराये मुस्कान,
सौरभ जिसे गुरू मिले, ईश्वर का वरदान।


- डॉ. सत्यवान सौरभ


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शिक्षक

शिक्षा की जो लौ जगाए शिक्षक है वो  कहलाता
अनेक कौशलों से ज्ञान भी है बांटता।
शिष्य के भले में ही  हरदम है सोचता 
उसके आगे बढ़ने में ही चैन है पाता।
नैतिक मूल्यों से भी शिष्य को अवगत है करवाता 
मूल्यों बिन जीवन अधूरा ये जरूर है बताता।
आत्मनिर्भर होने की बात भी है सिखाता 
सफल जीवन का जो आधार है कहलाता।
बड़ों का आदर सत्कार करना  है  सिखाता 
शायद उनके आशीर्वाद बिन जीवन सफल नहीं
हो पाता।
अपने ज्ञान से दुनियां की सैर  है करवाता 
ज्ञान को कैसे संजोया जाए  ये भी जरूर है सिखाता।
मनोवैज्ञानिक रुप से मजबूत है बनाता
जीवन में मुश्किलों का सामना कैसे करना ये जरूर है सिखाता।
रोजगारोन्मुखी भी है बनाता 
जीवनयापन कैसे किया जाए ये है सिखाता।
शिक्षक को उतना सम्मान आज नहीं मिल पाता 
फिर भी सम्मान की आशा  किसी से नहीं है जताता।


- विनोद वर्मा



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गुरुवर

गुरु से बढ़कर नहीं है कोई, प्राणी दूजा महान,
आपन कृपा कीजे हम पर, दीजो हमें भी ज्ञान,
हे गुरुवर... दीजो हमें भी ज्ञान!

हम बालक हैं मूढ़ निर्बल, भोले और अंजान,
जीवन मेरा आपही संवारो,राखो तनिक सा ध्यान,
हे गुरुवर... राखो तनिक सा ध्यान!

सत्य राह दिखलाते वो ही, करे भावी निर्माण,
गुरु हमारे भाग्य विद्याता, लेते सदा ही नाम,
हे गुरुवर... लेते सदा ही नाम!

गुरु की महिमा अजब निराली, गुरु बड़े ही महान,
गुरु बिना ना हासिल होवे, कोई भी उच्च स्थान,
हे गुरुवर.. कोई भी उच्च स्थान!

मात - पिता के जैसे हैं वो, गोविंद जैसे समान,
गुरुजी आपको करते हम सब,शीश झुका प्रणाम,
हे गुरुवर... शीश झुका प्रणाम।


- आनन्द कुमार


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कहना कितना आसान है कि हम शिक्षक हैं
लगा है दांव पर भविष्य हमारा कौन हमारा रक्षक है?
सोच के जाते हैं हर दिन कि आज हमारा कार्य सफल होगा,
बच्चे भी सीखते है पर सोचते हैं नया उनपे क्या परीक्षण होगा?

सच में कहना कितना आसान है कि हम शिक्षक हैं
कभी ऑनलाइन मीटिंग तो कभी सेमिनार की व्यस्तता,
कभी स्कूल ग्रांट के व्यय की भागदौड़ तो कभी एमडीएम की व्यथा।

फिर भी कहना कितना आसान है कि हम शिक्षक हैं,
सुबह शाम की भागमभाग फिर भी कहते गुरुजी फ़र्लू है आज
ऑनलाइन हाजिरी के कई चरण कर पार जैसे किया हो उसने जुल्मी काज।

लोगों का यही कहना कितना आसान है कि हम शिक्षक है,
चुनाव जैसे ही नजदीक है आते गुरुजी घर घर जाकर वोट बनवाते,
स्कूल में भी बहीखाता खोल जनता का पहचान पत्र बनाते।

कितना आसान है कहना की हम शिक्षक है,
पहले कमीशन अब तो टेट पास की शर्ते,
कितना हम मानसिक तनाव है झेलते
उम्र बीत गई पढ़ते पढ़ाते फिर भी गुरु जी अभी नहीं हो पूर्ण ये जताते।

थक गए यही सुनते कितना आसान है कि हम शिक्षक हैं,
नहीं चाहिए कोई हमें पुरस्कार न कोई विशेष अधिकार,
केवल लौटा दो वही मान सम्मान जिससे जागे हमारा स्वाभिमान।


- कांता शर्मा


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गुरु की महानता का क्या वर्णन करो,
देवताओं से पहले पूजे जाते हैं,
गुरु सही गलत का ज्ञान दिलाते है गुरु,
शिक्षा की ज्योति जलाते हैं गुरु,
बच्चों में अच्छी आदतें जागते हैं गुरु,
जो भूले भटके बच्चे हैं उन्हें राह दिखाते हैं गुरु,
विद्यालय में घर जैसा एहसास दिलाते हैं गुरु,
संस्कार की शिक्षा देते हैं गुरु,
सिर्फ अपने लिए ही नहीं,
दूसरे के लिए जीना सिखाते हैं गुरु,
भगवान के प्रति समर्पित रहना सीखते हैं गुरु,
समाज में बच्चा सही रास्ता अपने बताते हैं गुरु,
देवतुल्य इंसान गुणों की खान है गुरु,
ऐसे गुरु को मेरा नमन बारंबार।


- गरिमा लखनवी


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