साहित्य चक्र

25 September 2025

आयुर्वेदः ऋृषि-मुनियों के गहन अध्ययन और भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर

आयुर्वेद का महत्त्व इस बात में है कि यह केवल रोग के उपचार की पद्धति नहीं बल्कि स्वस्थ जीवन जीने की संपूर्ण कला है। इसमें शरीर, मन और आत्मा को संतुलित रखते हुए दीर्घायु और सुखमय जीवन पाने के उपाय बताए गए हैं। यह हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है जिसे ऋषि-मुनियों ने गहन अध्ययन और अनुभवों के आधार पर विकसित किया था।





आयुर्वेद आहार, विहार और व्यवहार पर विशेष ध्यान देता है और बताता है कि समयानुसार खानपान और दिनचर्या ही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। इसमें रोगों की जड़ तक पहुंचने और शरीर को पुनः स्वस्थ व संतुलित बनाने की क्षमता है। आधुनिक युग में जब रासायनिक औषधियों के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं, तब विश्व भी आयुर्वेद की ओर आकृष्ट हो रहा है।







यह केवल भारत की नहीं बल्कि पूरी मानवता की धरोहर बन चुका है क्योंकि यह प्राकृतिक संसाधनों से रोग-निवारण और स्वास्थ्य संवर्धन का मार्ग प्रशस्त करता है। आयुर्वेद हमें यह भी सिखाता है कि रोकथाम उपचार से अधिक महत्वपूर्ण है और यदि जीवनशैली सही हो तो रोग पास तक नहीं आता। इस प्रकार आयुर्वेद का महत्त्व अमूल्य है और इसे अपनाना हमारे वर्तमान तथा भविष्य दोनों के लिए आवश्यक है।


डॉ. आरज़ू अहमद शाह



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