आया सावन
------------------
सावन की काली घटा
देखो छा रही है
बारिस की बूँदे
नित बरसा रही है।
पूरवईया की शीतलता
और प्राणीयों की चहचहाट
हर तरफ हरियाली
गजब ढा रही है।
मांझी की नाव
और नदी का किनारा
कल-कल करती धारा
मनोरम दृश्य विखरा रही है।
किसानो की खुशी
कीचड से सने खेत पर
पानी का छलकना
छोटे छोटे पौधों से फसल लगा रही है।
शाम की धटा और घूप अंधेरा
टर्र टर्र करते मेढक
बादलो से अठखेलियाँ करती चाँदनी
सबको बता रही है कि आया सावन।
बम बम की पोशाक और कामर
भोले की गूँज से सराबोर है
गेरूआ वस्त्र में पूरे भोले की नगरी
में बोल-बम बोल-बम का शोर है।
सावन आते ही सनातनीयों का
पावन पर्व शूरू हो जाता
विभिन्न त्योहारो के माध्यम से
भारतवर्ष भक्तिमय हो जाता।
है भाषाएँ अलग अलग
पर है मान्यताएँ एक
परम शक्ति है भक्ति में
तभी तो पूरा देश कहता
ब्रह्मा,विष्णु महेश।
आशुतोष
No comments:
Post a Comment