साहित्य चक्र

06 July 2019

मानवता की राह पर

मानवता की राह पर चलता,
मैं हूँ साधारण इंसान,
बेवकूफ बना कर काम निकालो,
नही पता है यह मुझको ज्ञान।


ईश्वर से प्रतिदिन करता विनती,
कर्तव्य पर अपने डटा रहूँ,
अपनों पर यदि हो दुःख की घड़ियां,
साथ मैं उसके खड़ा रहूँ।


भोग विलास की न है चाहत,
न अभिलाषा बनू बहुत धनवान,
प्रभु मुझको भी दे इतना,
कम न हो मेरा भी मान।


शोहरत की कभी न भूख रही,
न पाल रखे ज्यादा अरमान,
जिधर से गुजरू लोग कहे,
यह है एक भला इंसान।


मुझको न किसी से ईर्ष्या है,
न करनी मुझे किसी से होड़,
ईश्वर मुझको ख़ुशहाल बना,
मुझको न लगानी किसी से दौड़।


कष्ट किसी को न मुझ से पहुँचे,
लोगों को सीखू देना सम्मान,
मेरी भी पहचान बने जग में,
मुझको न हो कभी अभिमान।


                                    लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव


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