साहित्य चक्र

06 July 2019

क्या राहुल के इस्तीफे से कांग्रेस जिंदा होगी ?



आखिरकार राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे ही दिया। राहुल गांधी का यह इस्तीफा कई सवाल पैदा करता है। जैसे क्या कांग्रेस अब गांधी-नेहरू परिवार के हाथ से निकल गई है या फिर वर्तमान में यह कांग्रेस पार्टी का जरूरत हैं ? सोचने वाली बात तो यह है, कि पिछले कई दिनों से राहुल गांधी इस्तीफे की पेशकश कर रहे थे, मगर कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता उन्हें मनाने में लगे थे लेकिन राहुल गांधी नहीं माने और आखिरकार कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे ही दिया।




वैसे यह स्वभाविक है, कोई राजनीतिक पार्टी किसी राजनेता के नेतृत्व में सबसे बड़े व मजबूत लोकतांत्रिक देश का आम चुनाव लड़े और उस आम चुनाव में उस पार्टी को करारी हार मिल जाए। तो ऐसे नेतृत्व करने वाले राजनेताओं को इसकी जिम्मेदारी तो लेनी ही पड़ेगी। चाहे राजनीतिक पार्टी कोई भी हो।

राहुल गांधी का इस्तीफा देना वाला कदम भी यहा पर ठीक उसी जिम्मेदारी को दर्शाता है। कांग्रेस पार्टी भारतीय राजनीतिक की सबसे पुरानी व मजूबत नेतृत्व वाली पार्टियों में से एक है। हां कांग्रेस पार्टी पर परिवारवाद और वंशवाद के आरोप लगातार लगते आए है। जो आज कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

राहुल गांधी का इस्तीफा देने से क्या कांग्रेस में बदलाव का दौर शुरू हो गया है या फिर यह कांग्रेस पार्टी के लिए एक चुनौती के रूप में सामाने आयी है ? आखिर यह चुनौती है, तो कैसी जो कांग्रेस पार्टी इसे स्वीकार ही नहीं कर पा रही है ? कांग्रेस क्यों इस चुनौती को स्वीकार नहीं कर रही है ? क्या कांग्रेस के पास अच्छा नेतृत्व नहीं है या फिर कांग्रेस आज भी राजनीतिक बदलाव नहीं करना चाहती है ? 

कांग्रेस का यह दौर कांग्रेस पार्टी के इतिहास का सबसे बुरा दौर है। जिस पार्टी में कई विद्वान व कई वरिष्ठ राजनेता हो उस पार्टी को आज वर्तमान में कोई मजबूत व अच्छा नेतृत्व व जिम्मेदारी स्वीकार करने वाला एक अध्यक्ष तक नहीं मिल रहा है। जो साफ तौर पर पार्टी की कमजोरी व पुरानी परम्परा को दर्शाता है।

राहुल गांधी ने इस्तीफा के साथ जो पत्र लिखा है, वह कांग्रेस के भविष्य और वर्तमान के हालातों को दिखाता है। राहुल कांग्रेस को मजबूत व सशक्त देखना चाहते है। राहुल गांधी का इस्तीफा देना जिम्मेदारियों से भगना नहीं है, बल्कि जिम्मेदारी लेना है और पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगाना है।

जिस तरीके से राहुल गांधी हाल ही के लोकसभा चुनावों में सत्ता पक्ष के खिलाफ अकेले लड़ते नजर आए, वह उनकी योग्यता  और साहस को दर्शाती है। एक अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों में दिल और जान से मेहनत तो कि मगर कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं ने उनका साथ नहीं दिया। जिसे लेकर राहुल गांधी का बयान भी आया।

कांग्रेस के लिए वर्तमान बेहद ही कांटों भरा है, कांग्रेस के लिए पार्टी में बदलाव के साथ-साथ पार्टी को मजबूत करना भी एक बड़ी चुनौती है। जो पार्टी के भविष्य व आने वाले चुनावों के लिए भी जरूरी है। पार्टी को अपने जमीनी कार्यकर्ताओं में एक नया जोश भरना है। कार्यकर्ताओं को भरोसे के साथ जज्बा भी दिखाना है और वर्तमान की राजनीति व हालातों के साथ चलना होगा। तभी पार्टी के लिए कुछ करने और एक नई उम्मीद जरूर आएगी।

कांग्रेस पार्टी को गांधी-नेहरू परिवार से उठकर देखना होगा। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे नेताओं को जमीन पर काम करने की जरूरत है। तभी पार्टी कार्यकर्ताओं में एक नया जोश व जज्बा आएगा।

अगर कांग्रेस पार्टी देश के वर्तमान हालातों को नहीं समझती है, तो कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक भविष्य बेहद गंभीर नजर आता है। देश के युवाओं, किसानों, मजदूरों, बेरोजगारों के साथ खड़ा होना और उनकी मांगों को संसद में मुद्दे बनाकर उठाना आज की जरूरत है।
   

                                                           संपादक-  दीपक कोहली

दीपक कोहली




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