साहित्य चक्र

14 July 2019

प्रभु मुझ पर उपकार करो



गुरु पद रज मैं मस्तक धारूँ ,
गुरु मेरा उद्धार करो ।
दुख संकट से आन् उबारो ,
प्रभु मुझ पर उपकार करो ।।


मन के महा सिंधु में प्रति-पल,
घमासान सा रहता है ।
उथल-पुथल अति हलचल  भारी ,
चंचल मन ये सहता है ।
सद्गुरु अंतस बीच पधारो
,कर विनती स्वीकार करो ।।


दुख संकट से आन् उबारो ,
प्रभु मुझ पर उपकार करो ।।


प्रथम शिक्षिका माता मेरी ,
दूजे सद्गुरु आप बने ।
वैतरणी का रहा नही  डर ,
चाहे घेरे भँवर घने ।
हाथ पकड़कर बचा मुझे लो ,
 भव सागर से पार करो ।।


दुख संकट से आन् उबारो 
,प्रभु मुझ पर उपकार करो ।।


पाँव पखारूँ म़ै गुरुवर के,
पूजन कर प्रभु को ध्याऊँ ।
जनम जनम से भटक रही हूँ ,
मार्ग मुक्ति का अब पाऊँ ।
अमृत आप, मैं पानी गँदला
निर्मल मन इक बार करो ।।


दुख संकट से आन् उबारो 
,प्रभु मुझ पर उपकार करो ।।


                                                              रीना गोयल


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