हार
ए मेरे मन तू क्यों
एक कोने में बैठा है
उठ विश्वास का हाथ थाम
क्यों हार के खुद से रूठा है.....
जीत भले ही न हो
आज मिले अगर हार
आत्मविश्वास बनाए रखना
सहज मन से करना स्वीकार.....
लक्ष्य अपना निर्धारित कर
आगे बढ़ते जाना
चाहे कितना भी हंसे जमाना
तू हार से ना घबराना......
छोटी छोटी बातों से
मेरे साथी डर ना जाना
अहम का घडा फूटता है
सब्र का बांध बनाना....
दिल और दिमाग की
रेस कभी ना लगाना
लड़ाई अगर अपनों से है
तो थोड़ा झुक जाना ....
पर सबक जिंदगी का
यह एक सीख जाना
अपने स्वाभिमान को
कभी नहीं गिराना.....
दीपमाला पांडेय
No comments:
Post a Comment