" निकिता "
सारी दुनिया जिस में समाई
उस निकिता को प्रणाम हैं
कण-कण इस माटी का
अनुपम और ललाम है
इश्क मोहब्बत में तेरे खातिर
कितना ही लहूलुहान हुआ है
हे-निकिता !तुम्हारे खातिर
महा भीषण -महासंग्राम हुआ
भारत की पावनतम माटी
शत-शत तुझे प्रणाम है
गंगा -सिंधु चरण पखारे
जग मे ऊंचा नाम रहे
कश्मीर हिमालय भी तुम्हारे
छदम सौंदर्य का परिधान है
हे-निकिता !तुझमें समाया
ये अक्षरश :हिंदुस्तान है
सारा जहान तुझमें पलता
तुझसे ही सजता और सवॅरता
तुमसे ही जीवन सबका
तुमसे ही उद्धार है
कर्म- कर्तव्य भी तुझमें
तुझसे ही इंसान है
ऐसी निकिता तुझको हम
करते है बारंबार प्रणाम
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कुमार गिरीश
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