साहित्य चक्र

01 July 2019

मेरी भी बेबसी सुन लो


मुझे तुम क्यूं रुलाते हो
******************

मेरी भी बेबसी सुन लो
मेरी तुमसे शिकायत है
मेरी यादों में आकर तुम
मुझे यूं क्यूं सताते हो..।।


बुलाता हूँ तुम्हें जब मैं
कभी तो पास आओ तुम
नहीं आते हो अक्सर तुम
बेवजह रूठ जाते हो..।।


मेरा ये प्रेम निर्मल है
सफ़र जीवन का जब तक है
कभी तो मुस्कराओ तुम
मेरा क्यूं दिल जलाते हो..।।


मेरी है आरजू तुमसे
कभी तो मान जाओ तुम
मेरा भी मान हो जाये
मुझे तुम क्यूं रुलाते हो..।।
मुझे तुम क्यूं रुलाते हो..।।


***विजय कनौजिया***
********©®******** 


No comments:

Post a Comment