मौन सदा रहकर जीवन दुख, पूछ उसे जो सहते हैं ।
धरती में सोना पाता जो, साथ वक्त के चलते हैं।।
पग-पग जो अपने जीवन में,कोशिश लाखों करते हैं।
ठोक पीटकर पाहन में भी, भगवन रूप उभरते हैं।।
जो हजार मुश्किल सह लेते , कुंदन भाॅंति दमकते हैं।
मौन सदा रहकर जीवन दुख,पूछ उसे जो सहते हैं।।१।।
रोज धूप में जो तपते हैं, नहीं कभी पग थकते हैं*।
है प्रकाश की चाह जिसे वे, दीपक बनकर जलते हैं।।
लक्ष्य उन्हें ही मिलता जग में , जो कंटक पथ चलते हैं।
मौन सदा रहकर जीवन दुख,पूछ उसे जो सहते हैं।।२।।
कृषक उचित जब दाम न पाते, अश्रु खून के रोते हैं।
महलों में रहने वाले सब,मखमल में नित सोते हैं।।
भूख मिटाने जो बच्चों की, धूपों में नित तपते हैं।
मौन सदा रहकर जीवन में, पूछ उसे जो सहते हैं।।३।।
- कुमारी गुड़िया गौतम

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