साहित्य चक्र

19 July 2025

कविता- जरा बताओ




सूख  नहीं  रहा  घाव  बताओ?
कैसे भूल जाऊँ बर्ताव बताओ?

जब  तुम्हारे हो  ही  गये हम,
फिर कैसे पूँछा भाव बताओ?

लम्बा सफ़र और तुम्हारा चलना,
कदमों  क्यूँ  है  ठहराव  बताओ?

जब जरूरत थी साथ देने की,
दिया ज्ञान  और  दांव बताओ?

साथ रह के भी है तन्हा सफ़र,
अब कहाँ रुकूं  पड़ाव बताओ?

तुम  तो मुँह  छिपा के  जी लोगे,
विकास खो गयी  चाव  बताओ?


                                      - राधेश विकास


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