साहित्य चक्र

09 July 2025

गुरु पूर्णिमा-2025 विशेष रचनाएँ





गुरु न केवल एक नाम है, वह तो एक प्रकाश की धार है,
जो मिटा दे अज्ञान तम को, जीवन में भर दे उजियार है।

वो मौन रहकर भी बहुत कुछ सिखा जाता है,
हर गिरते कदम को थाम, जीना सिखा जाता है।

वो चुपचाप गढ़ता व्यक्तित्व, बिना शोर किए संदेश देता,
हर संशय को शांत कर, सत्य की ओर कदम बढ़ाता ।

ना सिर्फ़ किताबों का ज्ञान, वो जीवन का अर्थ बताए,
हर भ्रम को तोड़कर, सच्चे स्वरूप से मिलवाए।

गुरु है दीपक ज्ञान का, जो खुद जलकर राह दिखाए,
हर मोड़ पर, हर कठिनाई में, सच्चा संबल बन जाए।

वो केवल पढ़ाता नहीं, जगाता है अंतर्मन को,
दिखाता है आत्मा का स्वरूप, जोड़ता है ब्रह्म से तन को।

गुरु है तो भीतर शांति की धारा है,
गुरु है तो जीवन में संजीवनी सी क्रांति है।
उसके बिना न कोई आरंभ है, न कोई अंत है।

जिसके चरणों में समर्पण हो, वही पाता है जीवन का सार,
गुरु तत्व है दिव्य अनुभूति, जो कर दे अस्तित्व का पार।।


                                 - निशि धल सामल


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गुरु हैं प्रकाशपुंज

गुरु हैं वो दीपक, जो जलते रहेंगे,
अज्ञान के तम को, हर पल हरेंगे।
बिना कहे जो समझें मन की भाषा,
संस्कारों से भर दें जीवन की आशा।

हर कठिन डगर में हों जो सहारा,
जो बना दें मिट्टी को भी सितारा।
उनकी दृष्टि में हो केवल स्नेह,
उनकी वाणी से झरता हो नेह।

गुरु हैं वटवृक्ष छाँव सा गहरा,
जहाँ विश्राम पाए जीवन का सहरा।
वो बताएँ दिशा, वो दिखाएँ राह,
वो मिटा दें भ्रम, वो जगाएँ चाह।

सच कहें तो भगवान से भी बढ़कर,
गुरु हैं साक्षात, इस धरती पर।
उनके चरणों में स्वर्ग समाया,
गुरु पूर्णिमा पर अवसर उनको नमन हमारा।

 
                                    - डॉ. सारिका ठाकुर 'जागृति' 


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हे गुरुवर हम आपका, करें सदा सम्मान।
मिले निरन्तर आपसे,हमको पावन ज्ञान।।

गुरु बिन ज्ञान नहीं हो पाए। 
चरण पूजकर सब मिल जाए।। 
निपढ़ मूढ़ को ज्ञान सिखाया। 
छंद विधा का पाठ पढ़ाया।।

दोहा रोला अरु चौपाई। 
धीर धार  तुमने सिखलाई।। 
शीश करें नत सदा तिहारे। 
अन्धकार से जगत उबारे।। 

हे गुरुवर रखना कर माथा ।  
लोक पावनी तुम्हरी गाथा।।
संकट कभी न तुमको घेरे।
लगे  रहे  दर सुख  के  डेरे ।।

ज्ञानदायिनी शिवानुजा सम।
करें प्रार्थना बस इतनी हम।।
दमके हरपल तेरी काया।
मिले सदा निर्मल सी छाया।।

गुरुवर पद रज आपकी,रखते हैं हम शीश।
हे! गुरुवर बस आप ही,मेरे प्रिय जगदीश।। 


                                     - सविता सिंह मीरा


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गुरु की महिमा
हम गुरु को प्रणाम करते है,
हमको जो सही रास्ता दिखाएं,
वही सच्चा गुरु होता है,
भगवान से पहले गुरु ही,
हमे रास्ता दिखाते है,
जीवन के अंधेरों से,
उजाला की ओर लाते है,
जीवन के संघर्षों से हमे,
जीना सिखाते हैं,
सही गलत हम क्या कर रहे,
हमको वह बतलाते है,
शिष्यों के खुशी में,
खुद ही खुश हो जाते है,
हम कही भटक रहे हो,
रास्ता वही दिखाते हैं,
गुरु का कितना बखान करु,
भगवान से वह मिलाते हैं,
समस्त गुरु को मेरा शत शत नमन।।


- गरिमा लखनवी


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