साहित्य चक्र

12 July 2025

इनकम टैक्स सरकार पर एहसान या नागरिक दायित्व!


भारत में कुछ लोगों के मन में एक गलतफहमी है और अक्सर वह सोशल मीडिया पर दिखाई भी देती है। देश में इनकम टैक्स देने वाले लोगों को लगता है कि वह टैक्स दे रहे हैं तो सरकार के ऊपर एहसान कर रहे हैं। अक्सर इनकम टैक्स भरने वाले लोग सवाल करते हैं कि इनकम टैक्स के बदले में उन्हें क्या मिलता है ?





मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं- क्या अन्य देश इनकम टैक्स नहीं लेते हैं ? विश्व में लगभग हर देश इनकम टैक्स लेता है और भारत में सबसे अधिक इनकम टैक्स की चोरी होती है यानी देश के नागरिक अपनी इनकम को छुपाते हैं। ऐसा मैं नहीं बल्कि बहुत सारे आंकड़े व सर्वे बताते हैं। 

अगर सरकार इनकम टैक्स नहीं लगी तो देश चलाने के लिए राजस्व की कमी होगी। सोचिये 140 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में मात्र 4 से 5% लोग ही इनकम टैक्स भरते हैं। जबकि अमेरिका में 60 से 65% जनसंख्या इनकम टैक्स भरती है। भारत में इनकम टैक्स भरने वाले लोग अमेरिका, इंग्लैंड जैसे विकसित और कम जनसंख्या वाले देशों की सुविधाओं को अपने देश के साथ तुलना करते हैं। यह तुलना किसी भी आधार पर सही नहीं बैठती है। 

हम सभी को समझना होगा इनकम टैक्स देश के ऊपर एहसान नहीं बल्कि देश के प्रति हमारा दायित्व है। इनकम टैक्स भरने से ही देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, टेक्नोलॉजी आदि का विकास होता है। इसलिए कुछ लोगों द्वारा इनकम टैक्स को लेकर लगातार फैलाएं जा रहे भ्रम और गलत नॉरेटिव को तोड़ना होगा। क्योंकि इनकम भी तो हम देश के संसाधनों से ही  कमा रहे हैं।

भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं। लेकिन आज भी देश में गरीबों का यह हाल है कि सरकार को आधी से अधिक जनसंख्या को फ्री में अनाज देना पड़ रहा है। इसके अलावा सरकार गरीबों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं भी लेकर आती हैं, जिससे उन्हें आर्थिक मदद मिलती है। 

मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार अमीर उद्योगपतियों और बड़ी कंपनियों का भी कर्ज माफ करती है। हम लोग सरकारी संसाधनों, संस्थानों व योजनाओं को गलत बताते हैं और प्राइवेट कंपनियों की मनमानी से भी परेशान रहते हैं।

अमेरिका, इंग्लैंड जैसा देश बनाने के लिए हमें न सिर्फ सरकारी संस्थाओं को मजबूत करना होगा बल्कि प्राइवेट संस्थानों की भी जिम्मेदारी तय करनी होगी और उन्हें आम लोगों के बजट सीमा के अंदर लाना होगा। प्राइवेट स्कूल, अस्पताल और तमाम निजी सुविधाओं ने हमारे खर्चों को बढ़ा दिया है और जिसके कारण देश में अमीरी और गरीबी की एक लंबी खाई बन गई है। इतना ही नहीं बल्कि इससे आम लोगों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है।

देश की आधी से अधिक जनसंख्या को ना सही रोजगार मिल रहा है, ना सही स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है, ना ही बेहतर शिक्षा मिल पा रही है। इसके अलावा मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। जबकि देश का एक तबका ऐसा है जिसका महीने का खर्चा लाखों रुपए है। उसके पास अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं व मेडिकल पॉलिसी हैं और बच्चों के लिए अच्छे प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं। 

इसलिए इनकम टैक्स भरने वाले लोगों को अपने सवाल पर पुनः विचार करना चाहिए। हां! मैं मानता हूं कि आपका सवाल गलत नहीं है, मगर बतौर नागरिक हम सभी की जिम्मेदारी है कि समस्त देश का विकास हो यानी हर नागरिक की मूलभूत ज़रूरतें पूरी हो। 
 


                                                      - दीपक कोहली






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