साहित्य चक्र

01 January 2021

नववर्ष मंगलमय हो



नव वर्ष की शुभ मुबारक हो, 
बिगड़ी बनाने दो सोये ख्वाब जगाने दो।
'राज' मिल जायेगा जाम नये वर्ष में,
पर संगीत की महफिल सजाने दो ।

जो बीते वर्ष न हो पाया उसे अब करलो,
आंचल में छुपा लो अब अश्रुधारा न बहने दो।
प्रेम प्यार में बंध जाएगी डोर प्रीत की,
'रावत' दो दिलों के डोर से डोर मिलाने दो।

बन जाएगी सब बिगड़ी हुई बात,
नवरंग नववर्ष खुशी के दीप जलाने दो।
'राज' ऐसे ना शरमाओ जीवड़ा दुनिया से,
अब नव बगिया को सजाने दो ।

अफसाने तो यूं ही नहीं बनते,
नैन से नैन प्रीत के मिलानें दो।
'राज' नववर्ष खुशियां में मिट जाएगी दुरी,
अब आजाओ पास न होने दो मजबूरी।
 
'गर्ग' करें दिल से यही दुआऐं खुशहाली सदा
नव वर्ष का आगाज हो खुशियो भरा। 
'राज' बने हर्ष से सब बिगड़े हुए काज,
इस नववर्ष का हो शुभ आगाज ।

                                  सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 'राज'


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