साहित्य चक्र

27 January 2021

नृशंसता के शिखर पे


जाने कैसे-कैसे निशिचर घूम रहे हैं मानव बन,
मानव रूप लिये फिरते हैं गलियों में दानव बन।
होलागढ़ थाना क्षेत्र के देवापुर गांव में अब,
नृशंसता के शिखर पे पहुंचा राक्षेश्वर रावण बन।।

ना ना गलत बोल गया हूं, रावण भी ऐसा ना था,
पापी, लोभी, रक्तपिपासू पर निर्दय ऐसा ना था।
सृष्टि और श्रेया नाम की, दो युवती के तन से खेला,
ऊंगली, छाती गुप्तांग काट दिया, रावण ऐसा ना था।।

ये तो हुई लड़की की कहानी, माता रचना तड़प रही है,
पुत्र प्रिंस का कटा शव, देख-देख कर विलख रही है।
जाने कैसे पापी थे राम, प्रिंस का तन भी काट दिया,
निर्ममता का शिखर देखकर अंदर-अंदर दहक रही है।।

पति की टांगें कटी पड़ी है, तन निर्जीव हो गया है,
विमलेश पांडे वैद्य प्रयाग का, अंत आज हो गया है।
कांप गया है गांव समूचा, दहशत में है हर जीवन,
लड़ रही मौत से प्रतिपल, हालत नाज़ुक हो गया है।

उजड़ गई बगिया सारी, कल तक जो महक रही थी,
आंगन में दो-दो बिटिया, चिड़िया बनकर चहक रही थी।
बालक प्रिंस बहुत तेज था, पर पिता से अपने डरता था,
मातम इस घर छाया है, यहां प्रेमाग्नि लहक रही थी।।

                                  प्रदीप कुमार तिवारी


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