साहित्य चक्र

01 January 2021

उड़ान अभी बाकी है


जीने को है वही जिंदगी पर
नई सोच नया सफर बाकी है
धारा है नदिया की वही मगर,
सागर में मिलना अभी बाकी है।।

कितना भी काटो परिंदों के पर
हौसला कम नहीं होता उनका
हर परिस्थिति में कर लेते है सफ़र
इरादों मैं जान अभी बाकी है,
उड़ान अभी बाकी है।।

कुछ आसमान भी झुक गया
कुछ इरादा बन चुका पक्का
अभी तो शुरुआत है जिंदगी की
जज्बातों से भरी है कश्ती जैसे
तेरी उड़ान अभी बाकी है।।

खुद से कर ले वादा इतना
अब कभी न टूटना फिर यूं
परिस्थितियों से सीख कर
नया अंदाज अभी बाकी है,
उड़ान अभी बाकी है।।

आजमाइश है अब तेरे हुनर की
तेरा खुद पर ऐतवार बाकी है ,
सफलता यूं ही नहीं मिलती बंदे
तेरा फिर से एक प्रयास बाकी है
उड़ान अभी बाकी है।।

                                       प्रतिभा दुबे "अभिलाषी"


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