साहित्य चक्र

31 January 2021

सृजन



मेरा सृजन , मेरे अल्फ़ाज़
मेरी रचना , मेरी सोच
तुम्हारे मनोरंजन के लिए नही है ।

मेरी दुकान पे तुम्हे ,
हँसी का ठहाका नही मिलेगा।

में लतीफ़ों का व्यापार 
नही करता।

मेरा सृजन बदलाव का है ।
मेरा सृजन मंथन का है ।

अगर मेरे अल्फाज़ो के 
फूलों की महक ,
तुम्हे रोमांचित कर जाए 
तो तुम्हारा स्वागत है ।

मेरे सृजन की माला पहन कर
 अगर तुम बदलाव कर पाओ तो,
  तुम्हारा स्वागत है ।

मेरा सृजन ना भूत का ,
ना  भविष्य के सुनहरे सपनो का,
मैं तुम्हें मुंगेरीलाल के सपने भी 
नहीं दिखा पाऊंगा,
 ना शेखचिल्ली की तरह 
सपनों में जीना सिखाऊंगा।

मेरा सर्जन तो वर्तमान का है 
आज के यथार्थ का है
 सच तो यही है
 जो आज है वही सत्य है

                                                       कमल राठौर साहिल


No comments:

Post a Comment