साहित्य चक्र

16 January 2021

आजादी


 बोस ने कहा 
तुम मुझे खून दो
 मैं तुम्हें आजादी दूंगा 
और कथन सच कर दिखाया ।

 यह कैसी आजादी ,
जिसकी कीमत बंटवारे का दंश
 झेल कर चुकाई !
और आज पल-पल चुका रहे हैं!

क्यों आज आजादी के मायने बदल गए, 
क्यों हम खुद बदल गए !

क्या आजादी इतनी सस्ती मिल गई
 जो हम कद्र करना भूल गए !

आजाद होकर भी क्यों 
हम गुलामी में जी रहे हैं!

 अंधविश्वास और गंदी राजनीति 
का बोझ अपने,
 सर पर ढो  रहे हैं !

क्यों खून को ,
जात पात के नाम पर बांट कर 
एक दूसरे से जुदा हो रहे हैं!
 किया यही मायने थे 
आजाद भारत के ?

                                 कमल राठौर साहिल 

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