बोस ने कहा
तुम मुझे खून दो
मैं तुम्हें आजादी दूंगा
और कथन सच कर दिखाया ।
यह कैसी आजादी ,
जिसकी कीमत बंटवारे का दंश
झेल कर चुकाई !
और आज पल-पल चुका रहे हैं!
क्यों आज आजादी के मायने बदल गए,
क्यों हम खुद बदल गए !
क्या आजादी इतनी सस्ती मिल गई
जो हम कद्र करना भूल गए !
आजाद होकर भी क्यों
हम गुलामी में जी रहे हैं!
अंधविश्वास और गंदी राजनीति
का बोझ अपने,
सर पर ढो रहे हैं !
क्यों खून को ,
जात पात के नाम पर बांट कर
एक दूसरे से जुदा हो रहे हैं!
किया यही मायने थे
आजाद भारत के ?
कमल राठौर साहिल
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