साहित्य चक्र

16 January 2021

मैं मातृभाषा ........हिंदी हूँ।



मैं देवभाषा ,
संस्कृत का आवाहन।
राष्ट्रमान ........हिंदी हूँ।।

मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ।

पहचान हूँ हर,
हिन्दोस्तानी की... मैं।

आन हूँ हर,
हिंदी साहित्य के
अगवानों की........मैं।।


मां,
बोली का मान हूँ...मैं।
भारत की,
अनोखी शान हूँ......मैं।।


मुझको लेकर चलने वाले,
हिंदी लेखकों की जान हूँ ....मैं।


मैं हिंद की बेटी..... हिंदी हूँ।
मैं राष्ट्र भाषा .........हिंदी हूँ।


विश्व तिरंगा फैलाऊँगी।
मन -मन हिन्दी  ले जाऊँगी।।

मन को तंरगित कर।
मधुर भाषा से।

हिंदी को,
विश्व मानचित्र पर,
सजा कर आऊँगी।।


                                  प्रीति शर्मा "असीम"

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