साहित्य चक्र

31 January 2021

"बदलते मूल्य"



संघर्ष ने कहा साजिश से 
देखो मेरी क्या है शान 
सच्चाई से रखता हूं
मैं अपनी हर जायज मांग 
जैसा अंदर,बाहर वैसा ही
फकीरी और गरीबी में भी 
चापलूसी में विश्वास नहीं 
और छोड़ा स्वाभिमान नहीं 
किंतु न्याय क्यों छुप जाता 
छद्म रूप क्यों दिखलाता 

साजिश धीरे से मुस्काया 
और कोने में जाकर फुसफुसाया 
सीधी नहीं नाक घुमा कर पकड़ा करो 
दुश्मन खेमे में घुस कर चुपचाप 
राज पता कर लाया करो 
वार पीठ पर करने में 
कभी न तुम सकुचाया 
आत्मा मना करें तो उसकी गठरी 
खूंटी पर टांग दिया करो 
दया,ममता,करुणा,ईमान 
ढकोसला है तुम माना करो 
लूट के दुनिया मालामाल रहो 
न्याय तुम्हारी जेब में होगा और 
जूते के नीचे होगा ईमान!!!

                                      डाॅ. रश्मि चौधरी


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