वार्षिक परीक्षा नजदीक आ रही थी। अब टिया को अपनी पढ़ाई की चिंता सताने लगी थी। इसलिए एक दिन स्कूल से आते ही उसने कहा- मम्मी, अब तो मैं आपसे पढ़ूंगी। आप रोज एक घंटा मुझे पढ़ाना। टिया की बात सुनकर शैलजा बहुत खुश हुई। वह तो खुद यही चाहती थी। मगर टिया उसकी एक नहीं सुनती थी।
वैसे तो टिया पढ़ने-लिखने में होशियार थी और खुद ही पढ़ लेती थी। हर टेस्ट में उसके नंबर भी अच्छे ही आते थे। पर फिर भी कहीं-कहीं उसके नंबर कट जाते थे। टिया को समझ में नहीं आता था कि वह हर विषय को अच्छी तरह याद करती है फिर भी उससे परीक्षा में गलती कैसे हो जाती है। इसलिए अबकी बार उसने और अधिक मेहनत करने की सोची थी।
-आओ टिया, तुम्हें पढ़ा दूं। शैलजा ने कहा क्योंकि वह इस समय बिल्कुल खाली थी। शैलजा की बात सुनकर टिया अपनी कॉपी -किताबें लेकर उसके पास आ गई।
शैलजा ने सबसे पहले हिंदी की कॉपी उठाई।
बेटी, कौन-कौन से पाठ आएंगे इस बार? उसने टिया से पूछा।
टिया बोली- मम्मी, इस बार तो पूरा सिलेबस ही आएगा। पर चिंता की कोई बात नहीं। मुझे सारे पाठ याद है। चाहे आप सुन लो।
-ठीक है। मैं पहले पाठ के प्रश्न-उत्तर पूछती हूँ। यह कहकर शैलजा ने टिया से प्रश्न-उत्तर पूछने शुरू किए। सचमुच टिया को सारा पाठ याद था और वह सब प्रश्नों के सही उत्तर दे रही थी।
यह देखकर शैलजा बहुत खुश हुई।
-चलो, अब तुमसे शब्दार्थ पूछती हूं। यह कहकर शैलजा ने शब्दार्थ पूछने शुरू किए। टिया को वह भी याद थे।
-अच्छा बताओ तरंग का क्या अर्थ होता है? शैलजा ने टिया की कॉपी में देखकर पूछा पिया ने झट से उत्तर दिया- घोड़ा।
-नहीं यह गलत है। तरंग का अर्थ लहर होता है। घोड़े के लिए तो तुरंग शब्द होता है।
-नहीं-नहीं तरंग का अर्थ ही घोड़ा होता है। देखो मेरी कॉपी में ये ही लिखा हुआ है और मैडम ने टिक लगाया हुआ है।
शैलजा ने देखा कॉपी में तरंग का अर्थ घोड़ा लिखा हुआ है। पिया की अध्यापिका ने कॉपी जांच कर उस पर सही का निशान भी लगाया हुआ। शैलजा ने किताब के पाठ को ध्यान से पढ़ा। उसमें तुरंग शब्द था। तथा साथ ही उस पाठ में घोड़े का वर्णन भी था। यानी की कॉपी में शब्द गलत लिखा हुआ था।
-बेटी हो सकता है तुम्हारी अध्यापिका ने जल्दबाजी में शब्द पर ध्यान नहीं दिया हो। तुम मेरी बात मानो और यह ठीक कर लो। तरंग की जगह तुरंग कर लो। यह कहकर शैलजा ने टिया कि सारी कॉपी पलट कर देखी। उसमें और भी कई गलतियां थी जिन्हें उनकी अध्यापिका ने नजरअंदाज करके सही का निशान लगा रखा।
शैलजा ने वह सारी गलतियां एक जगह लिख लीं तथा फिर उनके सही शब्द भी लिख लिए और फिर टिया से बोली- बेटी, तुम्हारी कॉपी में ये सब गलतियां हैं। तुम इन्हें ठीक कर लो।
मगर टिया कुछ समझने तैयार नहीं थी। जब शैलजा ने उसे एक-दो बार गलतियां ठीक करने के लिए कहा तो वह उल्टा उससे नाराज हो गई और शैलजा से कॉपी छीन कर बोली- आप रहने दो। मैं खुद ही पढ़ लूंगी। मैं आपके कहने से मेरी कॉपी में शब्द नहीं बदलूंगी। आपको कुछ नहीं पता। मेरी मैम सही पढ़ाती है। मैं उन्ही की बात मानूंगी।
शैलजा चुपचाप रसोई में चली गई। परंतु रसोई में खड़ी-खड़ी वह सोच रही थी कि कहीं पिया के नंबर कटने का कारण यही तो नहीं है कि वह उत्तरों को अंधाधुंध याद करती है। उसे पता ही नहीं पता कि वह सही याद कर रही है या गलत। भले में कितनी भी सही बात कहूं मगर वह मेरी कभी नहीं मानती। यह समझती है कि मम्मी को कुछ नहीं आता और मेरी मैम जो पढ़ाती है वह सही होता है। यह ठीक भी है परंतु जब अध्यापिकाओं के पास कार्यभार अधिक रहता है तो कॉपिया जांचते वक्त उनसे कई गलतियां हो जाती हैं। इससे कई बार वह गलत उत्तरों को भी भूलवश सही कर देती हैं।
परंतु जब परीक्षा के समय टिया वही गलत उत्तर याद करके वैसे के वैसे लिखकर आती होगी तब वह उन्हें गलत कर देती होंगी क्योंकि वह गलत ही होते हैं और अध्यापिकाएं परीक्षा मैं उत्तर पुस्तिकाएं बहुत ही सावधानी पूर्वक जांचती हैं।
-परंतु टिया यह बात नहीं समझ रही है। इसे कैसे समझाया जाए यह तो अपनी अध्यापिकाओं पर ही विश्वास करती है। उनकी इज्जत करती है। यह सब अच्छी बात है मगर…...। ओहो! मैं टिया को कैसे समझाऊं शैलजा यह सोच-सोच कर काफी देर तक परेशान होती रही। अगले दिन शाम को जब टिया पढ़ने बैठने वाली थी तब उसकी अध्यापिका का फोन आया।
-हेलो टिया, मैं तुम्हारी रीना मैम बोल रही।
रीना मैम की आवाज सुनते ही टिया खुश हो गई। रीना मैम उसकी मनपसंद अध्यापिका थी।
-गुड इवनिंग मैम! वह चहकती हुई बोली।
-टिया, तुमने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी क्या? रीना मैम ने पूछा।
- यस मैम। आपका विषय तो वैसे भी मुझे बहुत पसंद है। मम्मी ने कल ही मुझे पढ़ाया था। मुझे सारे प्रश्न याद है। वैसे भी मुझे हिंदी पढ़ने में बहुत मजा आता है। पिया की बात रीना मैम बोलीं- यह तो बहुत अच्छी बात है। आज मैं तुम्हें एक जरूरी टिप देना चाहती हूं। जिससे इस बार परीक्षा में तुम्हारे नंबर और भी अच्छे आएंगे।
आज तुम्हारी सहेली सलोनी अपनी हिंदी की कॉपी लेकर मेरे पास आई थी। उसकी कॉपी में बहुत सी गलतियां थी। मैंने उसकी गलतियां ठीक कर दी हैं। ताकि वह परीक्षा में वही गलतियां ना दोहराए। तुम भी वे सब गलतियां नोट कर लो। शायद तुम्हारी कॉपी में भी वही गलतियां हों क्योंकि तुम दोनों साथ-साथ ही काम करती हो। तुम भी वह गलतियां ठीक कर लेना।
-ठीक है मैम। कहकर टिया एक नोटबुक और पेंसिल ले आई ताकि गलतियां नोट कर सके।
रीना मैम ने लिखवाना शुरू किया और टिया लिखती गई।
-थैंक्यू मैम! अंत में टिया ने कहा और फिर अपनी हिंदी की कॉपी लेकर वह सारी गलतियां सुधारने बैठ गई। सचमुच उसकी कॉपी में भी वही सब गलतियां थी न।
जब वह सारी गलतियां सुधार चुकी त़ब अचानक से उसके नजर उस कागज पर पड़ी जिस पर उसकी मम्मी ने उसकी कॉपी में से गलतियां निकाल कर लिख दी थीं। यह देख कर टिया को बहुत आश्चर्य हुआ कि रीना मैम ने भी वही गलतियां लिखवाईं थीं।
इसका मतलब मम्मी भी ठीक कह रही थी। नोटबुक में सचमुच गलतियां थीं। मुझे मम्मी की बात मान लेनी चाहिए थी। मैंने फालतू की मम्मी पर गुस्सा किया। मैं आगे से ऐसा नहीं करूंगी। यह सोच कर दिया को बहुत शर्म आई और वह दौड़ी-दौड़ी मम्मी के पास गई। टिया की मम्मी कपड़े समेट रही थी। टिया बोली- मम्मी छोड़ो यह सब काम। चलो, मुझे पढ़ाओ। मेरी परीक्षा आने वाली।
टिया की बात सुनकर शैलजा मुस्कुराने लगी। वह मुस्कुराती-मुस्कुराती टिया को पढ़ाने बैठ गई। टिया को पढ़ाते-पढ़ाते उन्होंने चुपके से एक व्हाट्सएप मैसेज टाइप किया- धन्यवाद रीना मैम और साथ में जुड़े हाथों वाला इमोजी लगा कर वह मैसेज भेज दिया।
कुसुम अग्रवाल
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