साहित्य चक्र

27 January 2021

भारतीय मीडिया से जनता का भरोसा क्यों उड़ रहा है..?

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, मगर वर्तमान में भारतीय मीडिया का जो हाल है, उसे देख कर ऐसा लगता है कि भारतीय मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नहीं बल्कि सत्ता पक्ष का पांचवा स्तंभ है। जिस प्रकार से हमारे देश में आए दिन मीडिया की हकीकत सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता तक पहुंच रही है। उसे देख कर लग रहा है कि भारत में मेंस्ट्रीम मीडिया का अंत जल्दी होने वाला है।


जिस मीडिया का काम तभी सरकार से सवाल करना और सरकार की योजनाओं की जांच करना होता था आज उसी मीडिया का काम सत्ता में बैठे लोगों की वाहवाही करना हो गया है। आए दिन हमारे देश के न्यूज़ चैनलों में बहस होती है। मगर इन बहसों का स्तर मानो जैसे गांव घरों में मम्मी काकी आपस में लड़ रही हो। वर्तमान की मीडिया लोकतंत्र ही नहीं बल्कि राष्ट्र के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। आज हमारी यहां के न्यूज़ चैनल अपने निजी स्वार्थ के लिए कभी हिंदू-मुस्लिम, ब्राह्मण-दलित, जैसे मुद्दों को लाकर राष्ट्र व देश की प्रमुख समस्याओं को छुपाकर सरकार का साथ दे रही है। आज हमारे यहां की मीडिया सत्ता पक्ष से नहीं बल्कि विपक्षी से सवाल करती है। हमारे न्यूज़ चैनलों में किसान, खेती, मजदूरी जैसे मुद्दों पर नहीं बल्कि एक अभिनेता की मौत पर 2-3 महीने बहस होती है। कोरोना काल में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई मगर हमारी मीडिया को इसकी भनक तक नहीं लगी। करोड़ों लोगों के रोजगार चले गए हैं, मगर हमारी मीडिया सत्ता पक्ष की वाहवाही और पार्टी खाने में इतनी व्यस्त है कि उसे देश की गरीब जनता व किसानों का हाल तक नहीं दिखाई दे रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाला भविष्य इस से भी खतरनाक होगा यानी अन्य किसी पार्टी की सरकार आएगी तो वह भी ऐसे ही मनमानी करेगी। जिससे देश की गरीब जनता, किसान और मजदूर लोग परेशान रहेंगे। मेरी व्यक्तिगत राय है वर्तमान की मीडिया को त्याग कर सोशल मीडिया के माध्यम से हकीकत को जानना का प्रयास करना चाहिए। आशा करता हूं आप मेरे इस लेख से सहमत होंगे।

दीपक कोहली


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