साहित्य चक्र

21 November 2022

कविताः हिन्दी





हिन्दी हूं हिन्दुस्तान की 
विद्या के सम्मान की ,

सागर जैसा हैं शब्दों का खजाना हूं
भारत की मजबूत पहचान हूं ,

मां धरती का अवतार हूं 
ज्ञान का खूब भंडार हूं ,

हर गली मोहल्ले में रहती हूं
संस्कार संस्कृति का आधार हूं ,

मेरे वाक्यों में तान हैं 
विरासत की पहचान हैं ,

" हिन्दी ही रहने दो मुझको 
आसमान सा ऊंचा अरमान हैं
इंग्लिश तो बस मजबूरी हैं 
हर चक्र में हिन्दी पूरी हैं "

अगर नहीं बोलते हिन्दी 
तो शान हमारी अधूरी हैं
जय हिन्द, जय हिन्दी ।


                                     लेखिका- क्रांति देवी आर्य


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