पहाड़ों से अक्सर ही,
दिखता है हिमालय
और दिखाई देती हैं अनेकों घस्यारियां
हिमालय का
पहाड़ों से दिखना
बहुत आम है
लेकिन आम नहीं है
घस्यारिओं का नज़र आना
घस्यारियाँ जो उपमाओं में
कठोर नज़र आती हैं,
हिमालय सी,
लेकिन वास्तव में
घस्यारियां बर्फ़ सी होती हैं
जो पहाड़ नापते हुए
पिघल कर पानी हो जाती हैं
घस्यारियों का पिघलना,
गिरकर लहूलुहान होना होता है
घस्यारियां जो
संघर्ष करती आ रही हैं
कभी घर से,
कभी समाज से
और अब पहाड़ की
चढ़ाई के कच्चे रास्तों से
घस्यारियां,
जिन्हें रोका गया शिक्षा से
घस्यारियां,
जिन्हें बांधा गया
समाज की बेड़ियों से
घस्यारियां,
जिन्हें केंद्रित कर दिया
जंगलों में
घस्यारियां हिमालय की,
श्रृंखलाओं की तरह हैं
जिनमें दवाब होते रहता है
जो संरचना परिवर्तित करता है
लेकिन फिर भी
घस्यारियां हिमालय सी नहीं हैं
हाड़, मांस की औरतें हैं घस्यारियां
जो बोझ तले दब कर
ख़त्म हो जाती हैं एक दिन।
- भावना पांडे
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