साहित्य चक्र

22 November 2025

पुस्तकें सच्ची सहेली

पुस्तकें ही मेरी सच्ची सहेली है, वे मुझे हमेशा प्रेरणा देती रहीं हैं। मैथलीशरण गुप्त की नर हो न निराश करो, मन को पढ़कर मन में उपजे निराश भावनाओं ने आशा का संचार किया।





महादेव वर्मा की कविता मै एक दुःख की बदली उमड़ी कल थी मिट आज चली ने जैसे मेरे ही दिल की बात कह दी। सुहाग के नुपुर, तथा चित्र लेखा ने मुझे अपने बाहू पास मे बांधकर मुझे कुछ लिखने के लिए बाध्य किया।

क्या भूलूं क्या याद करूं पढ़ कर जीवन की सत्यता का भान हुआ, ऐसे ही अनेक धार्मिक ग्रंथों ने मुझे चारित्रिक उंचाई पर पहुंचाया। इसलिए पुस्तक और मेरा रिश्ता दोस्ती का है।

वह मौन रहकर भी बोलती है, दुलराती है, प्यार करती है निस्वार्थ भाव से और यह विश्वास मुझे है कि वह कभी धोखा नहीं देती न कभी देगी। मेरी प्रिय पुस्तक लाल रेखा है ,जो कुशवाहा कांता जी का लिखा हुआ है। जिसमें देश भक्ति की पराकाष्ठा दिखाई गई है।


- रत्ना बापुली, लखनऊ

No comments:

Post a Comment