साहित्य चक्र

17 November 2025

दिखावे का भवसागर!


अक्सर कहा जाता है कि जब से टेक्नोलॉजी आई है इंसानों का जीवन बेहतर हुआ है। मगर मेरा मानना है कि हमारा जीवन न सिर्फ बेहतर हुआ है बल्कि हमारे समाज में दिखावे का चलन भी बढ़ गया है। आज हम सभी अपनी छोटी-छोटी चीजों को सोशल मीडिया में डालकर लोगों को यह दिखाने या बताने की कोशिश करते हैं कि हमने यह चीज हासिल कर ली है। इसी दिखावे के भवसागर ने बाजारवाद को भी अपना शिकार बना लिया है।



प्राइवेट कंपनियों में मानव संसाधन यानी HR- Human Resource का काम कर्मचारी का रिकॉर्ड रखने से लेकर उनकी समस्याओं को हल करना होता है। मगर आज प्राइवेट कंपनियों के HR विभाग सिर्फ रंगोली बनाने और कर्मचारियों का रिकॉर्ड रखने के अलावा कर्मचारियों के हितों की कोई सुरक्षा नहीं कर पता है। प्राइवेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को अचानक से नौकरी से निकाल देती हैं और HR विभाग मौन हो जाता है। इतना ही नहीं बल्कि कर्मचारियों को भी सरकार द्वारा दिए गए अधिकारों के बारे में बहुत कम पता होता है।

दिखावे का भवसागर हमारे समाज को लगातार खोखला करता जा रहा है। आज हर व्यक्ति इनफ्लुएंसर बना हुआ है या बनने की कोशिश कर रहा है। हर किसी को फेमस होने का भूत सवार हुआ है। जिन कंपनियों का न्यूज़ से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है, आज वह भी न्यूज़ वाली पोस्ट बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रही हैं। क्यों और किसलिए ?




कुछ कंपनियां तो न्यूज़ स्टूडियो टाइप से अपनी कंपनी का प्रचार-प्रसार कर रही है, जबकि उनके प्रोडक्ट की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है। खाद्य सामग्री वाली कंपनियों का न्यूज़, जन्मदिन, पुण्यतिथि और जयंती से क्या संबंध है ? खाद्य सामग्री वाली कंपनियों को अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी पर काम करना चाहिए- प्रोडक्ट शुद्ध, बेहतर हो और मिलावट ना हो।

आज हमारे देश में खाद्य वस्तु में ऐसी कोई भी चीज नहीं है, जिसमें मिलावट नहीं होती है। पानी और नमक तक में हमारे देश में मिलावट होती है। और हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को लेकर समस्त विश्व को ज्ञान देते हैं। इतना ही नहीं बल्कि विश्व गुरु बनने का दम भी भरते हैं। क्या इस दिखावे के भवसागर से हम विश्व गुरु बन जाएंगे ?


- दीपक कोहली



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