पुस्तकें हमारी सच्ची साथी होतीं हैं। इनसे अथाह ज्ञान, जानकारी, कौशल तथा आत्मविश्वास प्राप्त होता है। मुझे बचपन से ही पुस्तकें पढ़ने का शौक रहा है। जब छोटे थे तो कॉमिक्स, चंपक या पंचतंत्र आदि कहानियाँ पढ़ते थे। उसके बाद विभिन्न पत्रिकाओं और समाचार पत्रों को पढ़ने में रुचि उत्पन्न हुई।
धीर-धीरे मन साहित्य की ओर अग्रसर हुआ। आज भी कोई रुचिकर क़िताब पढ़ने का अवसर मिलता है तो मन को सुकून मिलता है। इसी शौक़ का ही नतीज़ा है कि जीवन के अनुभवों को शब्दों में उकेर लेता हूँ।
पुस्तकें हमें प्रेरित करतीं हैं, उत्साहित करतीं हैं, मनोरंजन करतीं हैं, हमारे इतिहास से परिचय क़रातीं हैं, साथ ही हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। हमारे एकाकीपन को दूर करने में भी ये सहायक होतीं हैं। जिस इंसान को पढ़ने का शौक़ होता है उसके पास दुनिया भर की जानकारी एकत्रित रहतीं हैं। आज सोशल मीडिया के ज़माने में थोड़ा सा परिवर्तन आया है।
अब लोग काग़ज़ की जगह डिजिटल पुस्तकें पढ़ रहें हैं। एक बटन से कोई भी पुस्तक कहीं भी, कभी भी उपलब्ध हो जाती है। शौकीनों के लिए तो यह और भी सुविधाजनक हो गया है। अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि पुस्तकों का महत्व कभी कम नहीं होगा। हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को भी पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। जीवन को संवारने के लिए ये अत्यंत आवश्यक हैं।
- आनन्द कुमार

No comments:
Post a Comment