साहित्य चक्र

06 January 2024

"माँ" एक अनमोल रिश्ता

"माँ” ये शब्द बड़ा अनमोल है। माँ शब्द ही नहीं बल्कि हमारे जीने का आधार है। बिना माँ के जीवन जीना बहुत मुश्किल है। जब तक सुबह सुबह आपकी आवाज न सुन लेता था, तब तक ऐसा लगता था कि सुबह हुई ही नहीं है। "माँ" और भगवान में कौन बड़ा है, ये सोच कर बड़ी असंजस में पड़ जाता हूँ। किसी के भी जीवन में एक माँ, सर्वश्रेष्ठ और सबसे महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि कोई भी उनके जैसा सच्चा और वास्तविक नहीं हो सकता। माँ हमेशा हमारे अच्छे और बुरे समय में साथ रहती थी।






"माँ" के लिए उनके बच्चे बहुत कीमती होते हैं। अपने जीवन में दूसरों से ज्यादा वो हमेशा अपने बच्चों का ध्यान रखती है और प्यार करती है। अपने जीवन में वो अपने बच्चों को पहली प्राथमिकता देती है और उनके बुरे समय में उम्मीद की रौशनी जला देती है।

जिस दिन हम पैदा होते है वो "माँ" ही होती है जो सच में बहुत खुश हो जाती है, वो हमारे हर सुख-दुख में हमारा साथ देती हैं और कोशिश करती है कि हमारी सारी परेशानियाँ हल कर दें। मुझे आज तक पता नहीं चल पाया है कि जो मेरे मन में चल रहा होता था,वो मेरी माँ को कैसे पता चल जाता था। "माँ" और बच्चों का रिश्ता बहुत ही अनमोल होता है, जो कभी खत्म नहीं हो सकता है, कोई भी माँ कभी भी अपने प्यार और परवरिश में कमी नहीं लाती है।

लोग कहते है कि भगवान दिखाई नहीं देता,लेकिन मैं कहता हूँ कि "माँ"आप ही मेरे भगवान हैं। मैं कहता था "माँ" मैं आपके लिए दुनिया की हर ख़ुशी को आपके चरणों में ला दूँगा,बस आप हमेशा मेरे साथ रहना, मुझे छोड़कर कहीं मत जाना। “माँ” शब्द सिर्फ कहने में एक अक्षर का हो सकता है, लेकिन कैसे बताऊँ मैं इस एक अक्षर के शब्द में कुटुंब समाया हुआ है। लोगों के जीवन में सबसे अहम किरदार सिर्फ "माँ" का ही होता है। किसी भी व्यक्ति के इस संसार में आने पर सबसे पहले एक ही शब्द निकलता है “माँ”।

दुनिया की सबसे बड़ी गुरु "माँ" होती है, सही गलत का अर्थ माँ बचपन से ही बताती है, माँ ही होती है जो सबसे ज्यादा प्यार करती है। माँ भगवान का दूसरा रूप होती है। माँ का कहना जो मान लेता है वो सच में कामयाब हो जाता है। जीवन में चाहे कितनी भी तरक्की पा लो, पैसा कमा लो, लेकिन सच मायने में केवल यही कहूँगा कि यदि “माँ” खुश नहीं,तो कितना भी पैसा कमा लो सब रद्दी है।

"माँ" का होना जीवन का सबसे अहम भाग होता है। हर किसी के माँ  नहीं होती। लेकिन जिसके होती है वो सच में किस्मत वाला होता है। एक दोस्त, एक बहन, एक भाई, एक गुरु, और कभी कभी एक पिता का अभिनय निभाती है, जो उसे “माँ” कहते है। जब जेब खाली होती है तब पिता से लड़ कर हमें पैसे देती है I हमारे मन की चीजें पहले ही जान लेती है, वो होती है “माँ”। कहने को इतने शब्द हैं मगर मैं सिर्फ इतना ही कहता था कि “माँ” चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे मत छोड़ना, मैं तुम्हारे बिना अकेला नहीं जी सकता इस दुनिया में।

“माँ” का रिश्ता केवल माँ ही निभा सकती है। माँ वो है, जो खुद साधारण साड़ी पहनती है लेकिन अपने बच्चों को नए कपड़े दिलाती है। माँ वो होती है,जो हमें जीवन जीने का तरीका सिखाती है। माँ के बिना जीवन अधूरा है। "माँ" के चले जाने के बाद भी उनके लिए कुछ अगर कर सकूँगा तो किस्मत वाला मानूँगा अपने आप को।

माँ हमारे जीवन का वो हिस्सा होती है जिसके बिना जीवन जीना बहुत मुश्किल हो जाता है। बेटे का प्यार माँ के लिए कम हो सकता है,लेकिन माँ का प्यार अपने बच्चों के लिए कभी कम नहीं होता। चाहे रात को माँ भूखी सो जाएँ,मगर अपने बच्चों को कभी भूखा नहीं सुलाती,ऐसी होती है माँ।

माँ अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है I चाहे खुद फटे पुराने कपड़े पहन ले,मगर अपने बच्चों के लिए नए कपड़े खरीद कर देती है I खुद गीली जगह सो कर बच्चों को सूखे में सुलाती है माँ I माँ के बारे में कहना बहुत ही गर्व की बात है,बड़े ही किस्मत वाले होते है जिनकी माँ होती है।

माँ हमेशा अपने बच्चों के साथ रहना चाहती है। जब बच्चा स्कूल से आ जाता है,तो माँ उसको खाना देती है। उससे पूछती है कि आज स्कूल में क्या-क्या हुआ और खाना पूरा खाया कि नहीं I और यदि आपको न पता हो तो मैं बता दूँ कि एक माँ अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है,जैसे की मेमने (बकरी का बच्चा) के लिए उसकी माँ शेर से भी लड़ने की हिम्मत रखती है और अपने बच्चे की रक्षा करती है।

माँ अगर बच्चे से नाराज हो जाये,तो भी ज्यादा देर तक बिना बोले नहीं रह पाती है। माँ अपने बच्चों की खुशी के लिए निर्जल उपवास रखती है और बिना खाए पानी पिए पूरा दिन रह लेती है। पता नहीं चलता कि "भगवान ही माँ हैं" या फिर "माँ के रूप में भगवान आते हैं" इस दुनिया में, हमारी रक्षा के लिए।



                                                                            - गोपाल मोहन मिश्र


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