पल पल बदलती इस दुनियां में
कुछ बातें,कुछ रस्मों रिवाज
और कुछ मुलाकाते
आज भी वहीं ठहरी हुई हैं
कुछ बातें,कुछ रस्मों रिवाज
और कुछ मुलाकाते
आज भी वहीं ठहरी हुई हैं
जैसे मां का प्यार
चाहे दुनियां इधर की उधर हो जाएं
कभी नहीं बदलता
जब भी घर से बाहर
निकलो तुम
मां दही शक्कर की कटोरी लिए
हमेशा तुम्हें दरवाजे पर खड़ी मिलेगी
और घर लोटते वक्त
मां दरवाजे पर इंतजार करती हुई मिलेगी
जब भी तुम बहुत सुंदर
दिखती हो
मां काला टीका लगाना नहीं भूलती
मां आज भी सहेज कर
रखती है तुम्हारे बचपन की यादें
तुम भूल जाओ
किंतु मां को समर्पित की हुई
तुम्हारी ट्रॉफी को
मां अलमारी में सजा कर रखती हैं
तुम्हारी हर जीत पर
सबसे ज्यादा खुशियां
मां ही तो मनाती हैं
जैसे मां के लिए ये सब रिवाज है
जिन्हें हर मां
बरसों से निभाती नजर आती हैं
- जया वैष्णव, जोधपुर, राजस्थान
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