आगामी दो-तीन माह बाद भारत में लोकसभा चुनाव होने वाले है। ऐसे में जनता का मूड जानने के लिए कई न्यूज चैनल और सर्वे करने वाली एजेंसियाँ गली-गली और शहर-शहर घूम रहे हैं। वर्तमान माहौल को देखकर ऐसा कहा जा सकता है कि आम जनता लोकसभा चुनाव के लिए अभी तैयार नहीं है। आम जनता में चुनावों को लेकर ज्यादा प्रतिक्रिया और उत्साह नहीं दिखाई दे रही है।
जनता सरकार से 10 सालों का हिसाब मांगेगी या फिर धार्मिक भाव में अपना मत देगी। यह देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि वर्तमान में विपक्ष बहुत ही कमजोर है। इसलिए जनता का मूड भारतीय लोकतंत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। जिस तरीके से वर्तमान सरकार ने अपने पिछले 10 सालों के कार्यकाल के दौरान बेरोगारी, महंगाई और जनता की मूलभूत सुविधाओं पर कोई कदम नहीं उठाया। उसे देखकर ऐसा लगता है कि जनता इस बार किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं देगी। अगर ऐसा होता है, तो भारतीय लोकतंत्र में विपक्ष दोबारा जिंदा हो सकता है।
आम जनता सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार और विपक्ष के हर मुद्दे पर नजर रखी हुई है। सरकार किसी तरीके से काम कर रही है और विपक्ष किन मुद्दों को उठा रहा है। अभी जनता शांत दिखाई देती है, जैसे 2004 में शाइनिंग इंडिया के बाद दिखाई दे रही थी। 2004 में भी सत्ता पक्ष विश्वास से भरा हुआ था और जीत के अंहकार से चुनाव लड़ रहा था। जनता ने मूड बदला और सत्ता पलट दी। क्या इस बार भी जनता अपना मूड बदलेगी और सत्ता पलट कर धार्मिक भावनाओं को दरकिनार कर बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दे पर वोट देगी ?
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