बंद करो उसे रोकना,
बंद करो उसे टोकना,
आपकी गुलाम नहीं वह,
बंद करो उसके वजूद को कुचलना।
बंद करो उस पर जहीलों की तरह भौंकना,
बंद करो उसे गमों में झोंकना,
स्वयं भी इंसान की तरह जियो,
और शुरू करो उसे भी इंसान समझना।
बंद करो उस पर अपनी छोटी सोच थोपना,
बंद करो उसे और सजोना,
उसे अपनी जिंदगी में आजादी से जीता देख,
बंद करो उसकी आजादी पर चौकना।
और नारी तुम भी बंद करो यह बोलना,
हमें तो जिंदगी भर है झेलना,
तुम कोई सामान नहीं की एडजस्ट हो जाओगी,
स्वयं के हृदय को कभी टटोलो,
अब बंद भी करो दुसरो के हृदय को टटोलना।
- डॉ. माधवी बोरसे सिंह इंसा
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