साहित्य चक्र

05 January 2024

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी अपना राजनीति कार्यक्रम क्यों बना रही ?


भारत विभिन्न संस्कृति और सभ्यता का मिला-जुला देश है। यहाँ कई धर्म-जाति के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भारत को समस्त विश्व में लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर के रूप में देखा जाता है। मगर इन दिनों भारतीय लोकतंत्र पर कई प्रश्न खड़े हो रहे है। चाहे वह वर्तमान सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ बदले की भावना हो या फिर एक ही समाज व एक ही विचारधारा को आगे बढ़ाने का कार्य हो या फिर विपक्ष को खत्म करने की दिशा में उठाए जा रहे फैसले हो। वर्तमान की भाजपा सरकार अपने फायदे के लिए छोटी-छोटी चीजों को भी बड़े इवेंट के रूप में प्रस्तुत करती रही है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम राम मंदिर ट्रस्ट का निजी कार्यक्रम है, मगर वर्तमान की बीजेपी सरकार उसे अपने राजनीतिक मंच के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है।






ऐसे में सवाल उठते हैं- जब भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, तो फिर सरकार को किसी एक धर्म के कार्यक्रम को अपना राजनीतिक मंच क्यों बनाना चाहिए ? क्या सरकार के इस फैसले से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं बिगड़ेगी ? और अगर बिगड़ेगी तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा ? क्या सरकार के इस फैसले से देश के अल्पसंख्यक समुदाय व दूसरे धर्म को मानने वाले लोगों के मन में सरकार के प्रति अविश्वास तो उत्पन्न नहीं होगा ? क्या हिंदू धर्म सिर्फ भाजपा की राजनीति का हथियार है ? हिंदू धर्म को बार-बार अपनी राजनीतिक के लिए इस्तेमाल करना कितना सही है ? कही राजनीतिक मिलावट से हिंदू धर्म को नुकसान तो नहीं होगा ? राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भाजपा द्वारा राजनीति मंच बनाना कितना सही है ?

भाजपा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को अपना राजनीतिक मंच बनाकर 2024 की तैयारी में लगी है। इस कार्यक्रम के जरिए भाजपा अपने वोटरों और समर्थकों को एक संदेश देना चाहती है। जिससे 2024 आम चुनाव की लड़ाई भाजपा के लिए आसान हो जाए। मगर जनता भाजपा के इस जाल में कितना फंसती है, यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। भाजपा द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को अपना राजनीतिक मंच बनाना यह बताता है कि भाजपा अपनी राजनीति के लिए किसी भी स्तर पर जा सकती है। राम मंदिर का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है और भाजपा इसका क्रेडिट ले रही है। राम मंदिर निर्माण का कार्य राम मंदिर ट्रस्ट कर रही है। ट्रस्ट को आम जनता ने पैसे आदि सामाग्री दान किए है।

भारतीय राजनीति में जिस तरह से धर्म-जात हावी हो रही है, यह भारतीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। अगर ऐसे ही धर्म-जात की राजनीति हावी होती रही, तो आने वाले समय में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था डगमगा सकती है। इसलिए हमारे देश के सभी राजनीति पार्टियों को धर्म-जाति की राजनीतिक से ऊपर उठने की जरूरत है। आज भारत विश्व का सबसे ज्यादा युवाओं वाला देश है और हमारे देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है। सरकार बेरोजगारी, महंगाई और विकास जैसे मुद्दों पर बात नहीं करना चाहती है। सत्ता में बैठी राजनीतिक पार्टी भाजपा के पास धर्म और राष्ट्रवाद का ऐसा हथियार है, जिसका विपक्ष के पास कोई तोड़ नहीं है। विपक्ष अपनी राजनीतिक तौर-तरीकों में कोई बदलाव नहीं करना चाहता है, जिसके कारण विपक्ष लगातार कमजोर होता जा रहा है, जबकि सत्ता पक्ष हमेशा चुनावी मूड में रहता है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम एक धार्मिक कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के जरिए सत्ता पक्ष 2024 के लिए अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंक रहा है। इस प्रकार किसी धार्मिक कार्यक्रम को अपना राजनीतिक मंच बनाना सरासर लोकतंत्र का अपमान है। विपक्ष को सत्ता पक्ष के इस हथियार का जवाब खोजना चाहिए और देश की आम जनता का ध्यान सरकार की नाकामियों की ओर ले जाना चाहिए। जिससे 2024 के आम चुनाव में विपक्ष लड़ाई में जिंदा रह सकें और सत्ता पक्ष को कांटे की टक्कर दे सकें।

- दीपक कोहली


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