बसे हृदय में घनघोर तमस,
सूझे ना जब कोई जतन
दीप की लौ दिखती अँधेरे में
मत घबरा यूँ मेरे मन
टूट जाने दे बैसाखी अपनी,
देखा संसार का चलन
स्वयं अपने सूरज को जगाओ,
बढ़ जाने दे और तपन
हौसला तेरा है पुश्तैनी,
पथिक बस तू और अकेलापन
चरित्र निर्माण हो रहा तेरा,
ना हो हताश ना और क्रंदन
देख मन के अन्तर्दीप को,
मन का अपने कर अवलोकन
अंधकार सब मिट गया,
जागी नई आशाओं की किरण
विनीता पुंढीर
Nice vineeta pundir,❤️❤️
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