भारत प्यारा देश हमारा, हम इसकी संतान हैं,
इसकी नदियाँ कलकल करती जाने जहान है,
इसकी मिट्टी चंदन से पावन, जल अमृत सा है,
यहाँ का मौसम रंग रंगीला, ऋतु भी सुहानी है,
जीवन के त्योहार अनोखें, यहाँ रीति पुरानी है,
गोरी के आँखों में सावन, पावन मनभावन है,
यहाँ मनती हर रोज दिवाली और दशहरा है,
यहाँ के पुरुष संस्कारों वाले संतान श्रवण है,
यहाँ की नारी सीता सावित्री और अनुसूया है।
डॉ कन्हैयालाल गुप्त "किशन"
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