वीर शहीदों के बलिदानो ने, हुंकार खुब लगाई है,
तभी तो 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस कहलाई है।
आओ करें, कारगिल के वीरों को याद,
उनका अदम्य साहस, हमारा स्वाभिमान है।
देष के लिए जो, अपना सब कुछ वार दे,
ऐसे भारत के वीरों को, मेरा शत्-षत् प्रणाम है।।
इन वीर शहीदों की गाथाएँ, हमको याद दिलाती है,
ऐसे ही नहीं मिल गई आजादी, वीरों ने जान गवाई है।
सहेज कर रखना ऐ मेरे भारतवासियों, यह हमारी कमाई है,
कोई दुष्मन ना आँख उठाए, वीरों के खुन की दुहाई है।।
बर्फ की सफेद चादर को, वे तिरंगामय कर आए थे,
बेरंग पहाड़ी को भी वे, तिरंगे से रंग आए थे।
भारत माता के शीष पर, रक्ताभिषेक कर आए थे,
भारत माँ के लाल, अपना फर्ज अदा कर आए थे।।
तिरंगे के रंग में रंगने वाले, घर से भी रंग ले आए थे,
सफेद हो गया था उसका जोड़ा, जिसे ब्याह कर लाए थे।
उस जननी की आँखों में, आँसुओं के बादल छाए थे,
जिसने अपना दूध पिलाकर, उनको ख्वाब दिखाए थे।।
जिसको कंधे पर बिठाकर, गाँव की सैर कराते थे,
जिस कंधे पर जाना था पिता को, आज फिर पिता उसे उठाते हैं।
उनकी शहादत की गाथा, आज वो पत्थर भी गाते हैं,
जिनको वीर अपने लहु से, सींच कर आए थे।।
आतंक के आकाओं को, ऐसा सबक सिखाया था,
फट गई थी उनकी आँखे, जब भारतीय वीर को सामने पाया था।
जब आतंकी भारत में, घुसने का ख्वाब लेकर आया था,
तो उनको भारतीय वीर सैनिको ने अपने पंजे में दबाया था।।
भारत माँ की जय का नारा वीर सपूतों ने लगाया था,
उन गगनचुंभी पर्वतों पर, वीरों ने तिरंगा लहराया था।
अपना सर्वस्व लुटाकर जिसने, भारत माँ का आँचल भर डाला था,
अपना फर्ज निभाकर वीरों ने, वंदे मातरम् गाया था।।
पूजा उमठ
No comments:
Post a Comment