साहित्य चक्र

04 July 2020

निजाम की ग़ज़ल

बहल मीटर-  212  212  212  212
अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

बात  सच्ची  कहो  पर  अधूरी   नहीं।
लोग   माने  न   माने   ज़रूरी   नहीं।।

आज जो  है  जहाँ  कल  रहेगा वहाँ।
जानकारी  किसी  को  ये  पूरी  नहीं।।

जिनको नफ़रत थी हमसे जुदा हो गए।
दूर  वो  दूर  हम  फिर  भी  दूरी  नहीं।।

दोस्ती दिल से की दुश्मनी खुल के की।
साफ दिल  हूँ  बगल  में  है  छूरी नहीं।।

मुँह पे कहता बुरे  को  बुरा ये निज़ाम।
अपनी फितरत में  है  जी हज़ूरी नहीं।।

                                          निज़ाम-फतेहपुरी


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