सिस्टम सुधारने की हमेशा जिद करता है।
हर रोज कलम, कैमरों से प्रहार करता है।
खबर दिखाने-बताने की फिक्र करता है।
राष्ट्र के चौथे स्तम्भ की संज्ञा वह पाता है।
वह फिर भी दिन-दहाड़े गोलियों से मारा जाता है।
आखिर कैसा है मेरे भारत का यह पत्रकार ?
जो खुद की आवाज नहीं बन पाता है।
दीपक कोहली "मदिरा"
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