नदिया हूं , बह जाने दो ,
कल - कल करके आने दो ।
अविरल - प्रवाह बह जाने दो,
मुझे लहरों में मुस्कुराने दो।।
नदिया हूं, बह जाने दो .......
जग की सब प्यास बुझाने दो,
सबका तर्पण करवाने दो ।
मुझे जीवन अमृत बनाने दो,
सबके अवसाद धुल जाने दो।।
नदिया हूं, बह जाने दो .......
मिलकर "श्रेष्ठ" संगम बनाने दो,
सागर की बाहों में समाने दो ।
मुझे कण कण में रम जाने दो,
मुझे गगन में मेघ बन जाने दो।।
नदिया हूं , बह जाने दो .......
मुझे बूंद बन बरस जाने दो,
सबकी अग्नि को बुझाने दो।
यश मंगल - कीर्ति बनाने दो,
सबके मन में मुझे घूल जाने दो।।
नदिया हूं बह जाने दो ........
यशवंत राय श्रेष्ठ
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