इस जगत में ऐसे अनेकों ज्ञान हैं कि जिससे लोग अपरिचित है, ऐसा ज्ञान कि जो विज्ञान की मर्यादाओं से भी परे है, कि जो साश्त्रों का अध्ययन करके भी प्राप्त न हो शके और असंख्य पुस्तकों को पचाने के बावजूद दुर्गम है; वह है गुरुगम्य ज्ञान। जैसे भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कर्मसिद्धांत रूपी दीया हुआ ज्ञान साक्षात् परंगुरू द्वारा अपने शिष्य को प्रदान किया गया गुरुगम्य ज्ञान था, ठीक उसी तरह इस विश्व में कहि ऐसे महात्माओं, तपस्विओं और गुरुओं ने ऐसे अनेक विषयों का ज्ञान अपने शिष्यों को दीया है जो किसी पुस्तकरूपी माध्यम में कैद नहीं है। यहाँ ऐसे ही एक ज्ञान का उल्लेख है और यह विशिष्ट विषय अज्ञात होने के उपरांत भी लोकबोलीमें सबको समज़ने में आसानी हो वैसे अगर इसको नाम दीया जाए तो वह है 'अवकाशीय एनर्जी' (स्पेटियल एनर्जी) का ज्ञान।
एस्ट्रोलॉजीमे मान्यता रखने या न रखनेवाले सभी व्यक्ति किसीकेभी द्वारा की गई आगाहीकि तथ्यपूर्ति एवं उस पर टिप्पणीयाँ करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं, और जब वह आगाही विश्वके महासत्ता ऐसे देश अमेरिकाके विषयमें हो, तो निःसंदेह समस्त व्यक्तिगणकि जिज्ञासा चरमसीमा पर पहुँच जाती है। ऐसी ही एक आगाही मेहसाणा ज़िले के काँसा एन/ए गाँव के अमरीश कुमार द्वारा की गई है। अमरीश कुमार अपने गुरु के पास से अर्जित कीये हुए यह ज्ञान के द्वारा वे देश एवं लोककल्याण कि भावना रखते है। वर्तमान समय तथा आनेवाला समय जैसे इस प्राचीन ज्ञान से अवगत होने के लिये चिल्ला रहा हो, उसका प्रमाण वर्तमान के पुरे विश्व के हालत दे रहें है। अमरीश कुमार ने यह सन्दर्भ में भारत को महासत्ता बनाने के उनके स्वप्न के साथ उन्होने कई बार भारत सरकार को संपर्क करने कि कोशिश की है। उतना ही नहीं वे अपनी इस अनोखी विशिष्ट विद्या द्वारा भारत को महासत्ता बनाने के लिये केवक तत्पर ही नहीं परन्तु ऐसा करने के विस्तृत प्लान के साथ वे भारत सरकार को सहयोग देने हेतु सुसज्जित है। किन्तु भारत सरकार कि ओर से कोई भी प्रतिक्रिया न मिलते हुए उन्होंने अपना संशोधन आगे बढ़ाते हुए अमेरिका के सन्दर्भ में आगाही की। उनके द्वारा की गई धारणा के अनुसार, न्यू यॉर्क में स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर एवं अन्य महत्वपूर्ण इमारतोंकि रचना इस प्रकार की गई है के वह नेगेटिव एनर्जी उत्त्पन्न करती हैँ। अतः इस रचना से सम्बंधित सभी स्थान तथा सभी वस्तुएँ किसी बड़ी महामारी या किसी भी प्राकृतिक/कृत्रिम आफतों का शिकार बन सकतें हैं, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण न्यू यॉर्क-अमेरिकाके इस समयके हालात देखकर ही आँका जा सकता है। शमशान बने हुए न्यू यॉर्क की यह परिस्थिति का प्राथमिक कारण यही न्यू वर्ल्ड ट्रेड सेंटर कि रचना है ऐसा दावा वे कर रहें है।
यह आगाही स्पेटियल एनर्जी के विषय में उनके द्वारा कीये गये संशोधन पर आधारित है। उनके द्वारा किया गया यह संशोधन कोई कुछ बार कीये गये निष्फल/सफल प्रयोगों का परिणाम नहीं अपितु उनके 23 वर्ष के लगातार अध्ययन कि गूँज है। ईस विषयमें उनके द्वारा किये गये संशोधन एवं अध्ययन के आधारपे इन रचनाओं में कुछ ऐसे वदलाव किये जा सकतें हैँ के जिसके परिणाम सवरूप यह नेगेटिव एनर्जी को पॉजिटिव एनर्जीमें परिवर्तित किया जा सकता है। यह पॉजिटिव एनर्जी का लाभ केवल न्यू यॉर्क को ही नहीं अपितु समस्त अनेरिकाको प्राप्त हो सकता है; और यह एनर्जी जग प्रख्यात होकर एक महत्वपूर्ण परिणामकि छवि बनाते हुए समस्त संसार में अपनी गूँज छोड़ सकती है। यहाँ पर दर्शाये गये मामले के सन्दर्भ में उस प्रकारका वशेष ज्ञान धराने का तथा अनेरिकाको महासत्ता बनाये रखनेका एवं उससे भी उपरांत इस विश्वमें एक विशिष्ट स्थान दिलाने का दावा उन्होंने किया था। तदोपरांत इस विशिष्ट कार्य करने के लिए वे सक्षम है उसकी माहिती उन्होंने दि. 23/08/19 को अमेरिका के प्रेसिडेंट आदरणीय श्रीमान डोनाल्ड ट्रम्प को सम्बोधित करते हुए वाइट हाउस कि वेबसाइट के द्वारा विस्तारसे दी थी ऐसा दावा भी वे कर रहें हैँ। प्रेसिडेंट एवं उनकी गवर्नमेंट जोभी मुश्केलिओं का सामना कर रहें हैं वो इसी नेगेटिव एनर्जी का परिणाम है।
अब प्रश्न यह है कि क्या अमेरिका इन बदलते हालातों और वहां कि कुछ रचनओं के प्रभाव में फसे रहकर भी अपना महासत्ता का स्थान बरकरार रख पाएगा या फिर यह आगाही के अंतर्गत अपना वर्चस्व घूमता जाएगा! क्या अमेरिकन सरकार अथवा भारत सरकार इस विशिष्ट ज्ञान के प्रयोगों का लाभ लेने का मौका चुन कर - इस अनोखी विद्या से विश्व को संमुख कर पाएंगे! या फिर समस्त मानवजात इसी प्रकार उनके द्वारा रची गई कृत्रिम रचनाओं कि नेगेटिव एनर्जी का भक्षण बनती रहेगी ?
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