साहित्य चक्र

26 July 2020

"सब कुछ बदल रहा है"


जिंदगी की भागमभाग में सब कुछ बदल रहा है
इंसान मशरूफ है अपनी अपनी ज़िंदगी में
कभी सपनों में तो कभी अपनों में
कभी यादों में तो कभी बातो में
कभी खुशी में तो कभी गम में
कभी दिन में तो कभी रात में
कभी कल में तो कभी आज में
जमाना यूँही चल रहा हैं।

जिंदगी की भागमभाग में सब कुछ बदल रहा है
अल्फ़ाज़ों की महक कभी एक सी नही रहती
इंसान की फ़ितरत भी कभी एक सी नही रहती
कभी हजारों बातें भी दिल पे नही लगती थी
ओर कभी एक छोटी सी बात भी दिल पर नासूर कर जाती हैं
एक दौर था जब रिश्ते सच्चे हुआ करते थे।

कभी अपने होते थे पराये ओर
कभी पराये भी अपने हुआ करते थे
अब ना वो दौर रहा और ना वो रिश्ते
अब ना वो बातें रही और ना ही वो क़िस्से
जमाना यूँही चल रहा हैं
जिंदगी की भागमभाग में सब कुछ बदल रहा हैं।

कभी दोस्त होते थे सच्चे
कभी वादे होते थे पक्के
अब ना वो दोस्त रहे और ना वो दोस्ती
अब ना वो खेल रहे ना वो मस्ती
जमाना युही चल रहा हैं।

जिंदगी की भागमभाग में सब कुछ बदल रहा है
आखिर बदलना भी जरूरी है इस खुदगर्ज दुनिया में
कुछ तो दर्द होगा उस शख्स के भी दिल में
जमाने की इस जद्दोजहद में वो भी शायद ढल रहा हैं।

शायद इसलिए वो बदल रहा है
शायद इसलिए वो बदल रहा है

   
                                                    साहिल मोहम्मद


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