मैं कोई वरदान हूँ,
या कोई अभिशाप हूँ,
मैं हूँ किसी की वेदना,
या कि बस कोई पुकार हूँ।
मैं कौन हूँ।
मैं मूक हूँ वाचाल हूँ,
या कि बेमिसाल हूँ,
मैं हूँ किसी की कल्पना,
या सत्य का आधार हूँ।
मैं कौन हूँ।
मैं मिलन का ख्वाब हूँ,
या विरह की रात हूँ,
मैं हूँ किसी की वन्दना,
या कि बस प्रस्ताव हूँ।
मैं कौन हूँ।
मैं सौम्य हूँ उग्र हूँ,
या कि कोई धीर हूँ,
मैं हूँ किसी की ग़ज़ल,
या कि बस एहसास हूँ।
मैं आखिर कौन हूँ।।
प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
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