चुनाव शांति
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शांति क्रांति चुनाव न जानती
भेद-भाव लोगो में बाँटती।
जात-पात नफा नुकसान
धर्म मजहब लालच है पहचान।
गूस्ताखी करते-फिरते दिन-रात
जबकि आज भी सड़को पर
सो रहे गरीब अनाथ।
एक से बढकर एक योजना
फिर भी गरीबो को पड़े सोचना।
झूठ फरेब की पहाड़ा
नेताओं का है सहारा।
देखो आया योजना प्रधानमंत्री आवास
सो रहे चैन से,मिल रहे मुफ्त अनाज।
उज्जवला प्यारा सौभाग्य से उजियारा
आयुष्मान बढ़ा रहा डिजिटल भाग्य हमारा।
माना हाल बूरा है,बेरोजगारी बढ गई
पर नेकियों में हमारी,चमक बिखेर गई।
झूठे ख्वाब दिखाना वादा करके आना
सबूत का भूत पीछे खडा, पीछा छोडाना
काम नही देने की अब मुआवजा बाँट रहे
देखो कैसे रोग, आम लोगो में बाँट रहे।
रोजी रोटी, और लाज,है इनसे कोसो दूर
बेरंग हो गये है सत्ता लोभी चकनाचूर।
सब की समस्या है एक
प्रधान बदलो बन जाओ एक।
बंद हो यह खेल पुराना
सीख लो तहजीव निभाना
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