राजनीति का नशा
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तुम किसे सुनाओगे
और कौन तुम्हारी सुनेगा ?
साहब! ये मौसम चुनावी है
तरह-तरह के मुखौटे पहनकर
अजीबो-गरीब करतब दिखाये जायेंगे
झाल-मंजीरे, ढोल-नगाडों से
जनता दरबार लगाये जायेंगे
भिन्न-भिन्न व्यंजन मुफ्त में
गरीबों को खिलाये जायेंगे
कुछ इस तरह मेरे देश के वोटर छले जायेंगे |
भोली-भाली सूरत बनाकर
बड़े-बड़े वादे किये जायेंगे
ऊंचे-ऊंचे मंचों से रंग-बिरंगे लॉलीपॉप बांटें जायेंगे
एक लुटेरा जायेगा तो दूसरा आयेगा
ये देश का दुर्भाग्य है कि
जाति-धर्म के नाम पर जनता को आपस में लड़ाया जायेगा
कुछ इस तरह राजनीति का नशा चढ़ाया जायेगा
जनता को ठगा जायेगा... |
- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
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