साहित्य चक्र

27 April 2019

साहब! ये मौसम चुनावी है

राजनीति का नशा 
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तुम किसे सुनाओगे 
और कौन तुम्हारी सुनेगा ?

साहब! ये मौसम चुनावी है 
तरह-तरह के मुखौटे पहनकर 
अजीबो-गरीब करतब दिखाये जायेंगे 
झाल-मंजीरे, ढोल-नगाडों से 
जनता दरबार लगाये जायेंगे 
भिन्न-भिन्न व्यंजन मुफ्त में 
गरीबों को खिलाये जायेंगे 
कुछ इस तरह मेरे देश के वोटर छले जायेंगे |

भोली-भाली सूरत बनाकर 
बड़े-बड़े वादे किये जायेंगे 
ऊंचे-ऊंचे मंचों से रंग-बिरंगे लॉलीपॉप बांटें जायेंगे 
एक लुटेरा जायेगा तो दूसरा आयेगा 
ये देश का दुर्भाग्य है कि 
जाति-धर्म के नाम पर जनता को आपस में लड़ाया जायेगा 
कुछ इस तरह राजनीति का नशा चढ़ाया जायेगा 
जनता को ठगा जायेगा... |



                                          - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 


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